Sunday, October 5, 2025
25 C
Surat

दुर्योधन का जन्म और महाभारत युद्ध की भविष्यवाणी


Last Updated:

Mahabharat Katha: महाभारत के सबसे बड़े विलेन दुर्योधन के पैदा होते ही कई ऐसे अपशकुन होने लगे कि ज्योतिषियों ने धृतराष्ट्र से कहा कि इस विनाश ही लाएगा, इसे फेंक दो, तो धृतराष्ट्र ने क्या किया और क्या जवाब दिया.

महाभारत : दुर्योधन के पैदा होते ही क्यों लोग कहने लगे फेंक दो इसे जंगल में

हाइलाइट्स

  • दुर्योधन के जन्म पर अपशकुन हुए, ज्योतिषियों ने त्यागने की सलाह दी
  • धृतराष्ट्र ने पुत्रमोह में दुर्योधन को नहीं त्यागा
  • दुर्योधन का जब जन्म हुआ तब उसका नाम सुयोधन था

जब दुर्योधन किसी तरह पैदा हुआ तो ऐसी अजीबोगरीब बातें होने लगीं कि हर कोई घबरा गया. क्योंकि ऐसा कभी पहले नहीं हुआ था. जिसने इसे देखा और महसूस किया, वो घबरा उठा. ज्योतिषियों ने तुरंत पंचांग निकालकर ग्रह नक्षत्र की गणनाएं करनी शुरू की. तब वो भी घबरा गए. उन्होंने हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र से कहा कि आप अपने इस पुत्र से पीछा छूटा लें. इसे जंगल में जाकर त्याग दें. ज्योतिषियों ने जिस विनाश की भविष्यवाणी की वो तो हुआ लेकिन दुर्योधन के जन्म के समय हुआ क्या था.

दरअसल ये सब जानने के लिए हमें पूरी कहानी ही जाननी होगी. व्यास ने वर दिया था कि गांधारी के सौ पुत्र होंगे. गांधारी सही समय से गर्भवती भी हो गईं. लेकिन जब दो बरसों तक किसी संतान का जन्म नहीं हुआ तो सभी को लगा कि ऐसा क्यों हो रहा है. इस बीच कुंती ने युधिष्ठिर को जन्म दे दिया. तब गांधारी ने धृतराष्ट्र को बगैर बताए जब अपना गर्भपात कराया तो देखा कि लोहे के समान एक ठोस मांस का पिंड निकला.

तब महर्षि व्यास ने गांधारी से क्या कहा
वह उसे फेंकने जा ही रहीं थीं कि उसी समय वहां आकर महर्षि व्यास ने कहा, मेरा कहना कभी गलत साबित नहीं होता. व्यास की सलाह पर गांधारी ने शीतल जल में उस मांस के पिंड को भिगोने के लिए रख दिया. उससे अंगूठे के बराबर एक सौ एक भ्रूण अलग हुए. उन सभी भ्रूणों को अलग घी से भरे घड़ों में रख दिया. एक वर्ष के बाद एक घड़े से दुर्योधन का जन्म हुआ.

क्या अपशकुन हो रहे थे 
दुर्योधन जन्म लेते ही गधे की तरह कर्कश चीखने लगे. उसी समय गिद्ध, सियार, कौवे भी बोलने लगे. उल्लू भी चीख रहे थे. यानि बहुत अजीब आवाजें आने लगीं. और भी बुरे लक्षण नजर आने लगे. आसमान काला हो गया. कई जगहों पर आग लग गई. ये देखकर हर कोई डर ही गया. धृतराष्ट्र डर गए. जैसे ही धृतराष्ट्र ने डरकर विदुर और भीष्म से पूछा – मेरे पुत्र को राज्य तो मिलेगा ना, उनके ये पूछते ही फिर सियार और दूसरे जानवर चिल्लाने लगे.

तब ब्राह्रणों और ज्योतिषियों ने क्या सलाह दी 
तब ब्राह्मणों और ज्योतिषियों ने उस समय की गणना की. उन्होंने पाया कि दुर्योधन का जन्म इतने खराब समय में हुआ है कि वह पूरे कुल और परिवार के लिए नाश की वजह बनेगा. उसकी वजह से आपस युद्ध और कलह होती रहेगी. तब ज्योतिषियों ने धृतराष्ट्र को सलाह दी कि इस पुत्र को अपने दूर कर दीजिए. इसका त्याग कर दीजिए. अन्यथा इसको पास रखने से मुश्किल आएगी. लेकिन पुत्रमोह में पड़े धृतराष्ट्र ने ऐसा करने से मना कर दिया. बाद में एक माह के अंदर ही 99 पुत्र और एक बेटी दुशला नाम की बेटी हुई.

कैसे नाम पड़ा दुर्योधन
कुछ कथाओं के अनुसार, दुर्योधन का नाम जन्म के समय नाम सुयोधन था जिसका अर्थ होता है ‘एक महान योद्धा’ लेकिन बाद में उसने खुद अपना नाम बदलकर दुर्योधन कर लिया.

क्या होता है दुर्योधन का अर्थ
कुछ मान्यताओं के अनुसार, दुर्योधन नाम ‘दुर्जय’ शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है जिसे जीतना मुश्किल हो. ये नाम उसके स्वभाव को दिखाता है, क्योंकि वह बहुत ही कठिन और जिद्दी व्यक्ति था.

…और वाकई विनाश की वो भविष्यवाणी सच साबित हुई
विदुर की भविष्यवाणी सच साबित हुई, क्योंकि दुर्योधन की महत्वाकांक्षाओं और जिद के कारण महाभारत का युद्ध हुआ, जिसके परिणामस्वरूप कौरवों का विनाश हुआ. दुर्योधन को कलयुग का अवतार भी माना जाता है, जिसमें वे सभी गुण थे जो कलयुग में स्वार्थ के लिए अपनाए जाते हैं

कौरवों का अंत हो गया
दुर्योधन को अक्सर उसके अहंकार और पांडवों के प्रति द्वेष के लिए जाना जाता है. उस समय के ऋषि-मुनियों ने यह भविष्यवाणी की थी कि यह बालक अपने अहंकार, ईर्ष्या और अधर्म के कारण एक बड़े युद्ध को जन्म देगा, जिसमें हजारों योद्धा मारे जाएंगे. कौरवों का अंत हो जाएगा. आखिर में ऐसा ही हुआ.

क्या थी दुर्योधन की उम्र
दुर्योधन और भीम एक ही दिन पैदा हुए थे. महाभारत युद्ध कुरुक्षेत्र में 3139 ईसा पूर्व (अनुमानित) हुआ. युद्ध के समय भीम और दुर्योधन की उम्र करीब 64-65 वर्ष रही होगी. जब पांडवों का वनवास हुआ (12 वर्ष का वनवास + 1 वर्ष अज्ञातवास), तब दुर्योधन की उम्र करीब 50-52 वर्ष रही होगी. जब दुर्योधन ने युवराज के रूप में हस्तिनापुर की राजनीति संभाली, तब वह लगभग 30-35 वर्ष का रहा होगा.

कैसा प्रशासक था वह
महाभारत में दुर्योधन को मुख्य रूप से एक अहंकारी, अधर्मी और ईर्ष्यालु व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है. हालांकि अगर उसके प्रशासनिक कौशल की बात करें, तो वह एक कुशल, लेकिन पक्षपाती और अत्याचारी शासक माना जा सकता है. दुर्योधन को अपनी क्षमताओं पर पूरा विश्वास था. वह अपने राज्य को मजबूत करने के लिए लगातार कोशिश करता था. किसी चुनौती से पीछे नहीं हटता था.

वह कुशल रणनीतिकार जरूर था
दुर्योधन ने अपनी सेना और मित्र राज्यों से संबंध मजबूत किए. उसने शकुनि, कर्ण, अश्वत्थामा और जयद्रथ जैसे शक्तिशाली योद्धाओं को अपने पक्ष में कर लिया. उसे कुशल रणनीतिकार भी माना जाता है. उसे अपने मित्रों के प्रति खासा वफादार माना जाता है, खासकर कर्ण के प्रति. हालांकि पांडवों को लेकर उसने हमेशा छल-कपट का सहारा लिया. दुर्योधन को अपनी प्रजा का उतना समर्थन प्राप्त नहीं था, जितना धर्मराज युधिष्ठिर को.

homeknowledge

महाभारत : दुर्योधन के पैदा होते ही क्यों लोग कहने लगे फेंक दो इसे जंगल में

Hot this week

Khatu Shyam Ji temple। खाटू श्याम जी का इतिहास

Khatu Shyam Travel Tips: अगर आप भी खाटू...

झाड़ू के इन 5 नियमों को अनदेखा करना पड़ सकता है भारी, ये नियम बना देंगे धनवान!

Vastu Tips: पूर्णिया के वास्तु शास्त्री पंडित मनोतपल...

Topics

Khatu Shyam Ji temple। खाटू श्याम जी का इतिहास

Khatu Shyam Travel Tips: अगर आप भी खाटू...

रविवार को करें सूर्य देव की आरती, रौशन रहेगा जीवन, मन को मिलेगी शांति

https://www.youtube.com/watch?v=%20UuaYaVTlSBkधर्म रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित माना...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img