Niranjani Akhara History: इस साल प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है. यह आयोजन 13 जनवरी पौष पूर्णिमा से लेकर 26 फरवरी महाशिवरात्रि तक रहेगा. जहां देश के कुल 13 अखाड़ों के साधु संतों का आगमन होगा. साधुओं का ये जमावड़ा महाकुंभ में संगम के पवित्र स्नान करेंगे. बता दें कि इन अखाड़ों में मुख्य निरंजनी अखाड़ा भी शामिल होगा.
निरंजनी अखाड़ा देश के सबसे बड़े और प्रमुख अखाड़ों में से एक है. इस अखाड़े का मुख्य आश्रम मायापुर, हरिद्वार में स्थित है. बता दें कि जूना अखाड़े के बाद निरंजनी अखाड़े को सबसे ताकतवर माना जाता है, जो कि देश के 13 प्रमुख अखाड़ों में एक माना जाता है. इतना ही नहीं निरंजनी अखाड़े को हमेशा भारतीय धार्मिक क्षेत्र में परिपाटी स्थापित करने वाला माना जाता है.
भगवान कार्तिकेय का मानते हैं अपना इष्टदेव
निरंजनी अखाड़ा भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय को अपना इष्टदेव मानते हैं. निरंजनी के अखाड़े के पास प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक, उज्जैन, मिर्जापुर, माउंटआबू, जयपुर, वाराणसी, नोएडा, वड़ोदरा में मठ और आश्रम हैं. महंत और दिगंबर साधु इस अखाड़े के महामंडलेश्वर होते हैं. आइए विस्तार से जानते हैं निरंजनी अखाड़े के बारे में.
प्रयागराज के आसपास अखाड़े के पास इतनी संपत्ति
प्रयागराज और आसपास के इलाकों में निरंजनी अखाड़े के मठ, मंदिर और जमीन की कीमत 300 करोड़ से ज्यादा की है, वहीं अगर अगर दूसरे राज्यों में अखाड़े की संपत्तियों को जोड़ा जाए तो कीमत 1000 करोड़ को पार होगी. फिलहाल इस अखाड़े में नागा संन्यासियों की संख्या 10,000 से अधिक है. वहीं महामंडलेश्वरों की संख्या 33 है. इसके अलावा 1000 से ज्यादा महंत और श्रीमहंत होंगे.
अखाड़े में उच्च शिक्षा प्राप्त किये साधु शामिल हैं
निरंजनी अखाड़े में उच्च शिक्षा प्राप्त किये व सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे साधु शामिल हैं. एक ट्रस्टेड वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक निरंजनी अखाड़े में करीब 70 फीसदी साधु-संत उच्च शिक्षा प्राप्त हैं व डॉक्टर, प्रोफेसर, इंजीनियर सहित कई प्रोफेशनल्स भी शामिल हैं. इसलिए निरंजनी अखाड़े की हमेशा से ही एक अलग छवि बनी रही है.
FIRST PUBLISHED : December 26, 2024, 19:34 IST