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देश में सबसे पहले यहां पर हुआ होलिका दहन, रंग-गुलाल लेकर पहुंचे श्रद्धालु, संध्या आरती से हुई होली की शुरुआत!


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Holika Dahan In Ujjain: उज्जैन के महाकाल मंदिर में देश का पहला होलिका दहन हुआ, जहां भक्त हर साल बाबा महाकाल के साथ होली खेलते हैं. हालांकि, इस बार सुरक्षा कारणों से श्रद्धालुओं को रंग-गुलाल लेकर अंदर जाने नहीं …और पढ़ें

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महाकाल

महाकाल के दरबार मे सबसे पहले होलिका दहन 

हाइलाइट्स

  • महाकाल के दरबार में सबसे पहले होलिका दहन हुआ.
  • संध्या आरती के बाद विधि-विधान से होलिका दहन.
  • भक्तों के लिए इस बार महाकाल की होली फीकी रही.

उज्जैन. बाबा महाकाल के दरबार में हर पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. भूतभावन भगवान महाकाल मंदिर की परंपरा बाकी जगहों से अलग है. हर पर्व की शुरुआत सबसे पहले महाकाल के दरबार से होती है. पूरे भारत में 14 मार्च को होली मनाई जाएगी, लेकिन बाबा महाकाल के दरबार में आज संध्या आरती के बाद विधि-विधान से होलिका दहन किया गया.

देश का सबसे पहला होलिका दहन
मान्यता है कि होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त कोई भी हो, लेकिन देश की सबसे पहली होली महाकाल के आंगन में ही जलती है. उज्जैन के महाकाल मंदिर में शाम की आरती के बाद होली जलाई जाती है. यह देश का सबसे पहला होलिका दहन माना जाता है. फाल्गुन पूर्णिमा पर महाकाल मंदिर में होलिका दहन का भव्य आयोजन होता है, जिसके बाद बाबा महाकाल अपने भक्तों के साथ होली खेलते हैं.

महाकाल के दरबार में भक्तों की होली
बाबा महाकाल उज्जैन के राजा के रूप में पूजे जाते हैं. यहां के राजा अपनी प्रजा के साथ होली खेलते हैं. होली के दिन महाकाल बाबा के दरबार की छटा निराली होती है. भक्त अपने आराध्य को रंग और गुलाल अर्पित करते हैं. यह नजारा देखने में अद्भुत होता है. इस दिन देशभर से भक्त महाकाल मंदिर पहुंचते हैं. मान्यता है कि महाकाल के दरबार में रंग खेलने से जीवन में भी खुशियों के रंग भरते हैं और सारे दुख, दर्द, दरिद्रता दूर होती है. यही कारण है कि हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान महाकाल के साथ होली खेलने उज्जैन आते हैं.

इस बार फीकी पड़ी भक्तों की होली
हर साल की तरह इस बार भी देश-विदेश से श्रद्धालु भगवान महाकाल के साथ होली खेलने उज्जैन पहुंचे. भक्त अपने साथ कई तरह के रंग-गुलाल लेकर महाकाल मंदिर पहुंचे थे. लेकिन इस बार मंदिर समिति ने सुरक्षा कारणों से श्रद्धालुओं के रंग-गुलाल मंदिर के बाहर ही रखवा लिए.

श्रद्धालुओं की नाराजगी
श्रद्धालु मानसी राठौर ने कहा, “हम पांच घंटे से खड़े हैं, लेकिन मंदिर के अंदर जाने नहीं दिया गया. यह गलत है. अगली बार दर्शन करने से पहले सोचना पड़ेगा.” उन्होंने यह भी कहा कि उनके सामने कई अधिकारी और पुलिसकर्मी अपने साथ दस-दस लोगों को भीतर ले जा रहे थे. इसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो महाकाल अब सिर्फ वीआईपी के हो गए हैं.

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