विकास झा, फरीदाबाद: धनतेरस का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, इसे धन और स्वास्थ्य के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इस दिन का संबंध भगवान धनवंतरी से है, जो समुद्र मंथन के समय अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. पंडित उमाशंकर मिश्रा, जिन्होंने ज्योतिष के क्षेत्र में 17 वर्षों का अनुभव प्राप्त किया है, ने Local18 से विशेष बातचीत में धनतेरस के धार्मिक महत्व, पूजा विधि, और प्राचीन परंपराओं पर विस्तार से जानकारी दी.
धनतेरस का महत्व: समुद्र मंथन से जुड़ी प्राचीन कथा
पंडित उमाशंकर ने बताया कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरी अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे, और तब से धनतेरस का पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई. धनवंतरी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं और उन्हें आयुर्वेद का देवता कहा जाता है. इस दिन लक्ष्मी-नारायण की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है, और लोग उन्हें प्रसन्न करने के लिए ताम्र, सोना, और चांदी जैसे धातु खरीदते हैं.
पंडित उमाशंकर के अनुसार, जो लोग माता लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं, उन्हें नारायण का भी पूजन करना चाहिए. क्योंकि लक्ष्मी जी विष्णु जी की अर्धांगिनी हैं, उनका पूजन विशेष रूप से समृद्धि और आर्थिक उन्नति के प्रतीक के रूप में माना गया है. इस दिन भगवान की कृपा से घर में धन, वैभव और स्वास्थ्य की वृद्धि होती है.
सोना-चांदी और अन्य धातुएं खरीदने का महत्व
धनतेरस पर सोना, चांदी, तांबा, और अन्य धातुओं को खरीदना शुभ माना गया है. पंडित उमाशंकर ने बताया कि ये धातुएं माता लक्ष्मी को प्रिय हैं और इन्हें खरीदने से घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. आर्थिक रूप से सशक्त बनने और परिवार में समृद्धि लाने के लिए इस दिन नई धातुओं का घर में प्रवेश करना महत्वपूर्ण माना जाता है.
धनतेरस के दिन तांबे के बर्तन और झाड़ू खरीदना भी शुभ होता है. पुराने समय से चली आ रही इस परंपरा में लोग धातुएं और आवश्यक वस्तुएं खरीदते हैं ताकि घर में नए वित्तीय अवसर और संपत्ति का आशीर्वाद मिले.
गौ के गोबर में लक्ष्मी का वास: प्राचीन मान्यता
पंडित उमाशंकर ने Local18 से बातचीत में बताया कि प्राचीन मान्यता के अनुसार देवी लक्ष्मी का निवास गौ के गोबर में होता है. हिंदू धर्म में गाय को पूजनीय माना जाता है, और इसके सभी अंगों में देवी-देवताओं का वास बताया गया है. पंडित जी ने बताया कि इस मान्यता के आधार पर, गौ के गोबर से घर की लिपाई करने का प्रचलन भी शुभ माना जाता है. इस परंपरा के अनुसार, गोबर का इस्तेमाल घर में शांति, सुख, और समृद्धि लाता है.
धनतेरस की पूजा विधि: समृद्धि की कामना
धनतेरस के दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है. इस दिन पूरे घर की सफाई कर उसे सजाया जाता है और दरवाजे पर रंगोली बनाई जाती है. विशेष रूप से शाम को दीप जलाकर लक्ष्मी-नारायण की पूजा की जाती है ताकि पूरे वर्ष घर में समृद्धि और शांति का वातावरण बना रहे. पंडित उमाशंकर बताते हैं कि लक्ष्मी पूजन के बाद तांबा, चांदी, और सोने के गहनों या बर्तनों को घर में लाने से वर्षभर घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.
FIRST PUBLISHED : October 26, 2024, 13:00 IST
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