धनबादः धनबाद के गोविंदपुर में स्थित काली मां का मंदिर अपनी अनोखी मान्यता और अद्वितीय पूजा पद्धति के लिए प्रसिद्ध है. यह मंदिर न केवल स्थानीय लोगों के बीच, बल्कि दूर-दराज के श्रद्धालुओं के बीच भी अत्यधिक लोकप्रिय है. मंदिर की खासियत यह है कि काली मां को यहां सिक्कड़ों की माला से बांधा गया है. इस अद्भुत परंपरा के पीछे गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता है, जो भक्तों को मां के प्रति अटूट आस्था से जोड़ती है.
मंदिर के पुजारी सृष्टि ठाकुर ने Bharat.one′ से बातचीत के दौरान बताया कि इस मंदिर में मां काली की मूर्ति की स्थापना के बाद यहां अक्सर अजीब घटनाएं घटित होने लगीं. पूजा के बाद आवाजें सुनाई देने लगीं, और भक्तों को अलग-अलग प्रकार के अनुभव होने लगे. इस प्रकार की घटनाओं ने भक्तों और स्थानीय निवासियों के बीच भय का माहौल पैदा कर दिया था.
पुजारी सृष्टि ठाकुर ने बताया कि इन असाधारण घटनाओं को रोकने के लिए धार्मिक मंत्रों का सहारा लिया गया और मां काली को सिक्कड़ की माला से बांधने का निर्णय लिया गया. माना जाता है कि यह माला एक प्रतीकात्मक बंधन है, जो मां काली की अत्यधिक शक्ति को नियंत्रित करता है. पुजारी ने यह भी स्पष्ट किया कि वास्तव में कोई भी शक्ति मां काली को बांधने में सक्षम नहीं है, और यह माला केवल एक प्रतीकात्मक उपक्रम है. यह विश्वास किया जाता है कि मां काली को खुले में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि उनकी असीमित शक्ति संसार के लिए अत्यधिक हो सकती है.
मंदिर का इतिहास
यह मंदिर 1995 में स्थापित किया गया था, और तब से यह श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है. मंदिर के पुजारी के अनुसार, मां काली को सिक्कड़ से बांधने की परंपरा तब शुरू हुई जब लगातार हो रही असामान्य घटनाओं ने भक्तों और पुजारियों को यह कदम उठाने पर मजबूर किया. मां काली की प्रतिमा को मंत्रों द्वारा स्तुति करने के बाद ही इस परंपरा का आरंभ हुआ.
मां काली की विशेष कृपा
मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस पवित्र स्थान पर जो भी भक्त सच्चे दिल और आत्मविश्वास से मां काली के सामने अपनी मन्नतें रखते हैं, वे कभी खाली हाथ नहीं लौटते. मां काली अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं. इस विश्वास ने न केवल धनबाद के स्थानीय निवासियों को, बल्कि अन्य राज्यों से भी श्रद्धालुओं को यहां खींचा है.
दर्शन मात्र से जीवन में सकारात्मक बदलाव
श्रद्धालुओं का यह भी मानना है कि मां काली की शक्ति इस स्थान पर विशेष रूप से प्रभावी है. मंदिर में पूजा करने के बाद भक्तों को अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं. यही कारण है कि यह मंदिर धीरे-धीरे दूर-दूर के लोगों के लिए भी एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन चुका है. लोग न केवल अपनी व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान के लिए, बल्कि जीवन में शांति, समृद्धि और सुख-समृद्धि के लिए भी यहां आते हैं.
काली मां के अनोखे रूप का अनुभव
पुजारी ने बताया कि मंदिर में मां काली की उपस्थिति को महसूस करना एक अद्वितीय अनुभव होता है. कभी-कभी भक्त यह अनुभव करते हैं कि मां काली की मूर्ति डोल रही है, और यह घटना भी मंदिर की विशेषताओं में से एक है. यह इस बात का प्रतीक है कि मां काली यहां अपने भक्तों की उपस्थिति को महसूस करती हैं और उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर देती हैं. मंदिर के पुजारी ने यह भी बताया कि मां काली की प्रतिमा पर डाली गई सिक्कड़ की माला को केवल एक हार के रूप में देखा जाना चाहिए. इस माला के पीछे कोई भी ऐसी शक्ति नहीं है जो मां को बांध सके, बल्कि यह एक धार्मिक आस्था का प्रतीक है.
FIRST PUBLISHED : September 24, 2024, 12:14 IST
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