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नरक चौदस पर यमराज मंदिर में होती है विशेष पूजा, 350 साल है पुराना, मांगी जाती खास मन्नत – only Yamraj temple situated in Gwalior about 300 years old special worship performed On Narak Chaudas before Diwali know what blessing seek here


ग्वालियर. ग्वालियर में यमराज का मंदिर! सुनने में अजीब जरूर लगता होगा लेकिन बात सौ फीसदी सही है. ग्वालियर में यमराज का मंदिर है जो लगभग 350 साल पुराना है. दीपावली के एक दिन पहले नरक चौदस पर यमराज की पूजा के साथ मूर्ति का अभिषेक किया जाता है. साथ ही यमराज से खास मन्नत मांगी जाती है. ग्वालियर शहर के बीचों-बीच फूलबाग पर मार्कडेश्वर मंदिर में यमराज की प्रतिमा स्थापित है. यमराज के इस मंदिर की स्थापना सिंधिया वंश के राजाओं ने लगभग 350 साल पहले करवाई थी. यमराज की नरक चौदस पर पूजा अर्चना करने को लेकर पौराणिक कथा है.

यमराज ने जब भगवान शिव की तपस्या की थी तो प्रसन्न होकर उन्होंने वरदान दिया था कि आज से ‘तुम हमारे गण माने जाओगे. दीपावली से एक दिन पहले नरक चौदस पर जो भी तुम्हारी पूजा-अर्चना और अभिषेक करेगा उसे जब सांसारिक कर्म से मुक्ति मिलने के बाद उसकी आत्मा को कम से कम यातनाएं सहनी होंगी. साथ ही उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी. तभी से नरक चौदस पर यमराज की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

पुजारी मनोज भार्गव ने बताया, ‘यमराज को आयु वृद्धि का देवता माना जाता है. नरक चौदस को छोटी दीवाली भी कहा जाता है. इस दिन व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उठकर विधि-पूर्वक स्नान करना चाहिए. यमराज की पूजा करने से श्रद्धालुओं को शारीरिक कष्ट से मुक्ति मिलती है. आज के दिन यहां ग्वालियर के आसपास के श्रद्धालु आते हैं और यमराज की पूजा-अर्चना करते हैं.’

दूर-दूर से लोग आते हैं पूजा के लिए
यमराज की पूजा-अर्चना भी खास तरीके से की जाती है. पूजा के साथ ही यहां दीप दान किया जाता है. मान्यता है कि आज के दिन यमराज की पूजा करने से कष्टों का निवारण होता है. साथ ही उम्र के अंतिम दौर में होने वाले कष्टों परेशानियों से निजात मिलती है. यही वजह है कि दूर-दूर से लोग ग्वालियर पहुचते हैं और यमराज की पूजा अर्चना करते हैं.

श्रद्धालु सरला परिहार ने बताया, ‘पहले मुझे इस मंदिर के बारे में जानकारी नहीं थी. जब से जानकारी मिली, तब से मैं हर साल यहां आती हूं. करीब 10 साल हो चुके हैं. सबको पता है कि यमराज मृत्यु के देवता हैं. मैं इसी उम्मीद से आती हूं कि जीवन के अंतिम क्षणों में कम से कम कष्ट मिले.’

श्रद्धालु शैलेन्द्र यादव ने बताया, ‘यह मारकंडेश्वर का मंदिर है. यहां यमराज भी विराजमान हैं. आज नरक चौदस पर लंबी उम्र की कामना के लिए यहां पूजा की जाती है.’

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