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Haridwar News: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रेत योनि में भटक रहे पितरों के निमित्त धार्मिक कार्य करते हैं. भाद्रपद की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक पितृ पक्ष के दिन होते हैं.
भाद्रपद की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक पितृ पक्ष के दिन होते हैं. इस दौरान गीता के एकादश अध्याय का पाठ करने पर पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होने की धार्मिक मान्यता बताई गई है. चलिए विस्तार से जानते हैं...
गीता के एकादश अध्याय का पाठ पितृपक्ष के आखिरी दिनों में करने से क्या लाभ होता है. इसकी ज्यादा जानकारी देते हुए हरिद्वार के विद्वान धर्माचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि साल में एक बार शुक्ल पक्ष के दोनों का आगमन भाद्रपद की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक होता है. श्राद्ध पक्ष के दिनों में पितरों को प्रसन्न करने और उन्हें मोक्ष दिलाने के लिए तरह तरह के उपाय किए जाते हैं.
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार श्रीमद् भागवत गीता के 11 अध्याय में कृष्ण भगवान के विराट रूप का वर्णन है. यदि पितृपक्ष की त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि को गीता के 11 वें (एकादश) अध्याय का पाठ किया जाए, तो पितृ अपने धाम चले जाते हैं. वह आगे बताते हैं कि पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन गीता के 11 वें अध्याय का पाठ श्रद्धा भक्ति भाव से करने पर विष्णु भगवान सभी पितरों को मोक्ष प्राप्ति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं और पितृ अपने वंशजों को पर सदैव आशीर्वाद बनाए रखते हैं. साल 2025 में पितृ विसर्जन अमावस्या 21 सितंबर रविवार को होगी.