Saturday, October 4, 2025
25.5 C
Surat

पितृ पक्ष में जल देने के बारे में ABCD, जानिए हर सवाल का जवाब काशी,प्रयाग, दरभंगा और दिल्ली के विद्वानों से


Last Updated:

अपने पुरखे सबको प्रिय होते हैं. पुरखों के स्मरण का ही एक पूरा पखवारा है पितृपक्ष या पितर पक्ष. इस दौरान हिंदू लोग अपने दिवंगत पुरखों को जल देते हैं. इसकी प्रक्रिया के बारे में पढ़िए सारी जानकारियां,कर्मकांड के …और पढ़ें

पितृ पक्ष-जल देने के बारे में पूरी ABCD,जानिए जवाब कर्मकांड के विद्वानों सेपितरों को याद रखना, पखवारे भर उन्हें जल देना ये हिंदू धर्म की अद्भुत खासियत है. (सांकेतिक एआई फोटो)
पुराने भारतीय समाज में पितरों का तर्पण रोज का काम था. संस्कृत की बहुत सी कहानियों में इसके प्रमाण मिल जाएंगे. स्नान के बाद लोग पितरों को जल चढ़ा कर ही कुछ और किया करते थे. अब रोजाना नहीं हो पाता, लेकिन पितृ पक्ष में जरुर बहुत से हिंदू पितरों को जल देते हैं. हालांकि समय के साथ इसके तौर तरीकों में तरह तरह के भ्रम आ गए. खासकर सोशल मीडिया पर अलग अलग बातें सुनने देखने को मिलती हैं. भ्रम की स्थिति को खत्म करने के लिए काशी, प्रयाग, दरभंगा और दिल्ली के विद्वानों से इसके बारे में बातचीत की गई. उससे जो बातें सामने आईं वे इस प्रकार है.

  • पितृ पक्ष में जल देना क्यों जरूरी है?

    काशी के विद्वान संजय उपाध्याय बताते हैं – “पितरों को जल नियमित तौर पर प्रतिदिन दिया जाना चाहिए. पितर पक्ष में तो आवश्यक तौर से जल दिया जाना चाहिए.” हालांकि दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री संस्थान के पौरोहित्य कर्म विभाग के अध्यक्ष प्रो. बृंदाबन दास इससे इत्तेफाक नहीं रखते. उनके मुताबिक यदि कोई तीर्थों में जाकर नदी में स्नान करता है तभी तिलोदक दिया जाना चाहिए. रोजाना घर में नहा कर जल देने नित्यकर्म में नहीं है. मैथिल परंपरा के कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभागध्यक्ष प्रो. धुव मिश्रा का दावा है कि ये नित्यकर्म का हिस्सा है. रोजाना जल देना चाहिए और पितर पक्ष में तो जल देना बहुत आवश्यक है. वे कहते हैं -“पितर जन कार्तिक महीने की अमावस्या से ही जल की प्रतीक्षा करते हैं. चूंकि उन्हें अपने वंशजों से ही जल की अभिलाषा होती है, लिहाजा वे पितर पक्ष तक संतोष रखते हैं.” प्रयाग स्थित सच्चा आध्यात्म संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य श्रीकृष्ण त्रिपाठी भी कहते हैं कि पितरों को जल देना नित्यकर्म का हिस्सा है. रोजाना जल देना चाहिए.

  • एक से अधिक पुत्र हैं, तो क्या सभी जल देंगे?

    हां, इसके उत्तर में सभी विद्वान एकमत हैं. लेकिन सभी विद्वान ये भी मानते हैं कि अगर सभी न दे सके तो एक को देना जरूरी है. काशी के पंडित संजय उपाध्याय कहते हैं – “अगर पुत्रों में पिता की संपत्ति का बंटवारा हो गया है तो सभी जल देने के लिए बाध्य हैं. ” बंटवारा नहीं हुआ हो तो एक भी दे सकता है, लेकिन अगर सभी देंगे तो पितर प्रसन्न ही होंगे.प्रयाग स्थित सच्चा आध्यात्म संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य श्रीकृष्ण त्रिपाठी कहते हैं कि अगर अन्य भाई चाहें तो जल दे सकते हैं लेकिन अच्छा हो कि सबसे बड़ा भाई जल और अंत में पिंड दे, बाकी उसका सहयोग करें.

  • जल में क्या मिलाना चाहिए?

    पितरों को जल देने के लिए उसमें काले तिल मिलाने चाहिए. प्रो.बृंदाबन दास के अनुसार -“इसे तिलोदक भी इसी कारण से कहा जाता है.” 21 पीढ़ियों से काशी में पौरोहित्य कर रहे पंडित संजय उपाध्याय कहते हैं कि जल में तिल मिला कर दक्षिण दिशा में मुंह कर पितरों का तर्पण किया जाना चाहिए. जबकि पूरब की ओर मुंह कर जल में अक्षत मिला देवताओं और धान मिला कर उत्तर दिशा में मुंह कर ऋषियों को जल दिया जाना चाहिए.

  • किस स्थिति में जल देने से पुत्र को छूट मिलती है?

    इस सवाल पर सभी विद्वान एकमत हैं कि अगर पुत्र एक ही है और शारीरिक तौर पर लाचार है तो उसे छूट मिलती है, लेकिन वंश परंपरा का कोई और अधिकारी जल दे सकता है. प्रो. दास कहते हैं कि किसी के न मिलने पर पुरोहित हमेशा कोई भी कार्य कर सकता है, जिसमें जल देना भी शामिल है.

  • तो क्या बेटियों को भी जल देने का अधिकार है?

  • इस प्रश्न पर काशी और मिथिला के विद्वान कहते हैं कि शास्त्र में इसका वर्णन नहीं है. महिलाओं को ये अधिकार नहीं है क्योंकि जल देना आरंभ करने के बाद वे रजस्वला भी हो सकती है. इससे तर्पण टूट सकता है. लेकिन प्रो. दास फिर यहां याद दिलाते हैं -“अगर वंश में कोई नहीं है तो पुत्री जल दे सकती है.” साथ ही वे संकेत करते हैं कि अगर बीच में पुत्री अशुद्ध होती है तो पुरोहित से शेष जल दिला सकती है. सच्चा आध्यात्म संस्कृत महाविद्यालय के डॉ. त्रिपाठी कहते हैं – “अगर परिवर में कोई और नहीं है और बेटी ने पिता का उत्तराधिकार लिया है तो उसे करना ही है.” हालाँकि वे ये भी कहते हैं कि अगर भआइयों के होते हुए भी बेटी करना चाहे तो ये उसकी श्रद्धा है इसमें दोष नहीं है, लेकिन पिंडदान बड़ा पुत्र ही करेगा. वे ये भी कहते है कि दामाद किसी भी स्थिति में नहीं करेगा.

  • पितृ पक्ष के अंत में क्या पिंडदान भी सभी पुत्र करेंगे?

    नहीं. इसके जवाब में सभी विद्वान बताते हैं कि अगर परिवार में बंटवारा हो चुका है तो अलग अलग रह रहे पुत्र करेंगे, लेकिन अगर बंटवारा नहीं हुआ है तो क्रमानुसार ये बड़े से छोटे की ओर जाएगा. यानी सबसे बड़ा पहला अधिकारी होगा, फिर उससे छोटा और फिर उसके बाद का.

  • क्या जल देना सिर्फ जनेऊधारियों का काम है?

    नहीं. इस प्रश्न पर भी सभी विद्वान एकमत हैं. जिन वर्णों या जातियों को जनेऊ नहीं पहनाया जाता है उन्हें भी पितरों को जल देना है. अगर किसी कारण से नहीं दे पाते तो उन्हें श्रद्धा के साथ अपने पितरों को याद करना चाहिए. डॉ. त्रिपाठी कहते हैं जिन्हें जनेऊ नहीं दिया गया है वे भी पहले कंठी पहनते थे. उन्हें भी अपनी कुल परंपरा के अनुसार जल देना चाहिए. प्रो. दास कहते हैं जिनके वर्ण में जनेऊ का विधान नहीं है, वे अपने पितरों को बिना जनेऊ के ही जल देंगे.

  • क्या उन्हें भी जल देना है जिनके पिता या कुल के किसी व्यक्ति का वार्षिक श्राद्ध न हुआ हो?

    नहीं. प्रो. ध्रुव उपाध्याय कहते हैं कि वार्षिक श्राद्ध होने तक दिवंगत पितर लोक के मार्ग में ही होता है. एक बार पितर लोग पहुंच जाने पर तो उसकी गति मन जैसी हो जाती है लेकिन वहां पहुंचने में उसे 364 दिन लगते हैं. लिहाजा जब तक वार्षिक श्राद्ध न हो जाए, जल नहीं दिया जाना चाहिए.

  • authorimg

    राजकुमार पांडेय

    करीब ढाई दशक से सक्रिय पत्रकारिता. नेटवर्क18 में आने से पहले राजकुमार पांडेय सहारा टीवी नेटवर्क से जुड़े रहे. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद वहीं हिंदी दैनिक आज और जनमोर्चा में रिपोर्टिंग की. दिल…और पढ़ें

    करीब ढाई दशक से सक्रिय पत्रकारिता. नेटवर्क18 में आने से पहले राजकुमार पांडेय सहारा टीवी नेटवर्क से जुड़े रहे. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद वहीं हिंदी दैनिक आज और जनमोर्चा में रिपोर्टिंग की. दिल… और पढ़ें

    न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
    homedharm

    पितृ पक्ष-जल देने के बारे में पूरी ABCD,जानिए जवाब कर्मकांड के विद्वानों से

    Hot this week

    Topics

    Aaj ka Vrishchik Rashifal 05 October

    Last Updated:October 05, 2025, 00:07 ISTAaj ka Vrishchik...
    spot_img

    Related Articles

    Popular Categories

    spot_imgspot_img