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सूर्यविज्ञान प्रणेता योगिराजाधिराज स्वामी विशुद्धानन्द परमहंसदेव एक आदर्श योगी, ज्ञानी, भक्त तथा सत्य संकल्प महात्मा थे. उन्होंने योग तथा विज्ञान दोनों ही विषयों में काफी ऊंची स्थिति हासिल कर ली थी. उनका जीवन अलौकिक था. उन्होंने ऐसी कई योग सिद्धियां प्राप्त कर ली थीं, जिससे प्रकृति, काल और स्थान सब उनकी इच्छा शक्ति के अनुचर थे. विज्ञान की भूमि में भी उनकी उपलब्धियां असाधारण थी कि सूर्य की जरूरी किरणों को आतिशी शीशे द्वारा, रुई आदि पर संकेन्द्रित करके वह मनोवांछित धातुएं, मणियों और अन्य वस्तुएं या पदार्थ बना देते थे.