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मुमुक्षु निशा बीकॉम करने के बाद नेट करके लेक्चरर बनना चाहती थी लेकिन कोविड के दौरान आई महामारी ने उसे अंदर तक हिला कर रख दिया और उसने अपने सपने को उसी वक्त छोड़कर संयम के पथ पर चलने का फैसला लिया.
निशा बनेगी साध्वी
हाइलाइट्स
- कोविड के कारण निशा बोथरा ने लेक्चरर बनने का सपना छोड़ा.
- निशा अब साध्वी बनकर धर्म का पताका फहराएगी.
- 16 फरवरी को निशा बोथरा संयम पथ अंगीकार करेगी.
बाड़मेर. कहते है कि युवा अपने सपनों को पूरा करने में अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपने सपनों को समाज और धर्म से बढ़कर नहीं देखते हैं. यही वजह होती है कि वह आगे बढ़कर धर्म की ध्वजा को थामकर लोगों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं. ऐसी ही एक प्रेरणा 16 तारीख को जैन समाज के लिए एक नया इतिहास लिखने जा रही है. हम बात कर रहे है बाड़मेर की निशा बोथरा की.
मुमुक्षु निशा ने बीकॉम तक की पढ़ाई की और उसका सपना था कि नेट करके वह कॉलेज लेक्चरर बने लेकिन कोविड के दौरान आई महामारी ने उसे अंदर तक हिला कर रख दिया और उसने अपने सपने को उसी वक़्त छोड़कर संयम के पथ पर चलने का फैसला लिया. सूरत में पिछले साल आचार्य मणिप्रभसागरजी ने जब निशा की दीक्षा की तारीख की घोषणा की तो निशा झूम उठी थी. अब जब 16 फरवरी नजदीक आ रही है तो मुमुक्षु निशा उस दिन को लेकर बेहद उत्साहित है. मुमुक्षु निशा बोथरा बताती हैं कि 16 फरवरी के बाद सब कुछ बदल जाएगा लेकिन वह उसकी जिंदगी के लिए बहुत अहम है. वह संयम पथ अंगीकार करने के बाद समाज मे चौबीस तीर्थंकरों के उपदेशों को पहुंचाने का काम करेगी.
साध्वी बनकर धर्म फहराएंगे
निशा ने कहा कि उसे लेक्चरर बनना था, लेकिन अब साध्वी बनकर धर्म का पताका फहराएगी. मोक्ष प्राप्त करना है और आंतरिक खुशी चाहिए तो संयम पथ ही सबसे अच्छा है. करीब डेढ़ साल तक साध्वी विद्युतप्रभा और साध्वी दीप्तिप्रभा के पास आती-जाती रहीं. उनके साथ कई धार्मिक यात्रा पैदल की. जब लगा कि वह संयम पथ पर चल सकती हैं तो घर पर मम्मी को बताया. पहले तो वे राजी नहीं हुई, लेकिन बाद में मान गई.
Barmer,Barmer,Rajasthan
February 10, 2025, 18:15 IST
टीचर बनने का था सपना, कोविड ने बदले हालात, अब धर्म ध्वजा थामेगी मुमुक्षु निशा