
चित्रकूट : धर्म नगरी चित्रकूट भगवान प्रभु श्रीराम की तपोस्थली रही है. यह स्थान सदियों से श्रद्धालुओं का आस्था केंद्र रहा है. यहां के प्रत्येक स्थल में भगवान राम के वनवास के दौरान बिताए गए समय की गहरी छाप भी देखने को मिलती है.यहां आकर श्रद्धालु न केवल भगवान राम की पूजा करते हैं, बल्कि उन स्थानों को भी नमन करते हैं जहां प्रभु ने अपने जीवन के विशेष क्षण बिताए थे.
भगवान राम ने खुद किया था कुटिया का निर्माण
बता दें कि चित्रकूट के रामघाट से महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित पर्णकुटी ऐतिहासिक स्थल है, जो भगवान श्रीराम के वनवास के दौरान उनके द्वारा बनाए गए कुटिया का प्रतीक है. यह वही स्थान है जहां भगवान श्रीराम ने माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ समय बिताया था.पर्णकुटी की खास बात यह है कि भगवान श्रीराम ने खुद अपने हाथों से यहां घास-फूस और पत्तों से कुटिया का निर्माण किया था.
भगवान राम ने किया 24 कुटिया का निर्माण
चित्रकूट में पर्णकुटी में विश्राम करने के साथ-साथ भगवान राम ने यहां साधु-संतों के साथ सत्संग भी किया. यह स्थल धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है,वही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने चित्रकूट में कुल 24 कुटियां अपने हाथों से बनाई थीं.जहां वह रुका करते थे.
पुजारी ने दी जानकारी
पर्णकुटी मंदिर के पुजारी कृष्ण दास ने Bharat.one को जानकारी देते हुए बताया कि त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम माता सीता और भाई लक्ष्मण 14 वर्षों के वनवास के लिए अयोध्या से निकले थे, तो उन्होंने वाल्मीकि के निर्देशानुसार तप और साधना के लिए चित्रकूट आने का निर्णय लिया था. पुजारी के अनुसार भगवान राम ने स्वयं इस पर्णकुटी का निर्माण किया था. यहीं पर वह अपने परिवार के साथ आराम करते थे. जबकि लक्ष्मण जी कुटिया में रहकर सुरक्षा के दायित्वों का निर्वहन करते थे.
पुजारी कृष्ण दास का कहना है कि पर्णकुटी में भगवान राम ने साधु-संतों के साथ दरबार भी सजाए थे. यह दरबार धार्मिक संवाद प्रवचन और सत्संग का स्थान था. जहां भगवान राम ने जीवन के महत्वपूर्ण उपदेश दिए. यहां आकर श्रद्धालु न केवल भगवान के दर्शन करते थे, बल्कि उनके विचारों और उपदेशों से जीवन को सही दिशा देने का मार्गदर्शन प्राप्त करते थे.
FIRST PUBLISHED : December 8, 2024, 13:11 IST







