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Dharma Aastha : पुराण में भी इसका जिक्र मिलता है. यहां तीर्थराज प्रयाग भी स्नान कर आते हैं. इस नदी में स्नान करने का महत्त्व रामचरितमानस में भी बताया गया है. इसकी महिमा का वर्णन खुद प्रभु राम ने भी किया है. इसे साक्षात ब्रह्म द्रव्य भी कहा गया है. परम ब्रह्म स्वरूपा भी कहा जाता है. नेत्रजा भी कहते हैं.
अयोध्या. राम नगरी अयोध्या में बहने वाली सरयू नदी का धार्मिक ग्रंथों में भी विशेष महत्त्व बताया गया है. प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आस्था की डुबकी लगते हैं. सरयू नदी से जुड़े कुछ ऐसी सीक्रेट भी हैं जिन्हें जानने के बाद आप भी हैरान रह जाएंगे. जब से अयोध्या में राम मंदिर बना है, लाखों की संख्या में श्रद्धालु अयोध्या पहुंचकर मां सरयू में स्नान करते रहे हैं. सरयू में स्नान करने का महत्त्व रामचरितमानस में भी बताया गया है. सरयू नदी अयोध्या के उत्तर दिशा में बहती है और इसकी महिमा का वर्णन खुद प्रभु राम ने भी किया है. आइये जानते हैं कि सरयू कैसे उत्पन्न हुई, ये कितनी पवित्र हैं और क्यों तीर्थराज प्रयाग यहां आते हैं. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सरयू नदी की उत्पत्ति भगवान विष्णु के नेत्रों से हुई है. मां सरयू को कई नाम से जाना जाता है, जिसमें से एक नाम नेत्रजा भी है. वेद पुराण के अनुसार, जिस प्रकार मां गंगा को भागीरथी ने धरती पर लाए थे, ठीक उसी प्रकार मां सरयू को वशिष्ठ जी धरती पर लाए थे.
अयोध्या के उत्तर दिशा में बहने वाली सरयू नदी में सभी तीर्थ दर्शन और स्नान करने आते हैं. कहा जाता है कि सरयू नदी में स्नान करने मात्र से सभी तीर्थ के दर्शन का पूर्ण एक ही साथ प्राप्त होता है. जो भी व्यक्ति सरयू नदी में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करता है, उसे सभी तीर्थ के दर्शन का फल मिल जाता है. प्रत्येक रामनवमी को खुद तीर्थराज प्रयाग भी अयोध्या आते हैं और सरयू नदी में स्नान कर अपने पापों को धुलते हैं.
अयोध्या के प्रसिद्ध कथावाचक पवन दास शास्त्री बताते हैं कि सरयू नदी की महिमा बहुत अद्भुत है. सरयू को साक्षात ब्रह्म द्रव्य भी कहा गया है. सरयू नदी को परम ब्रह्म स्वरूपा भी कहा जाता है. इसे नेत्रजा भी कहा जाता है. यह भगवान के नेत्रों से प्रकट हुई है. मां गंगा भगवान के चरण से प्रकट हुई हैं. लेकिन मां सरयू भगवान के नेत्रों से प्रकट हुई है. अयोध्या मानव निर्मित प्रथम नगरी भी मानी जाती है, जिसे मनु महाराज ने बसाया था. लेकिन यहां पर जल की कमी थी. कोई नदी नहीं था. इसके बाद मनु ने वशिष्ठ जी से प्रार्थना की तो वशिष्ठ जी ने मनु को सुझाव दिया कि मानसरोवर में सरयू महारानी बहती हैं, जो भगवान के नेत्रों से प्रकट हुई है. उनको आप यहां ले आइये. जितने देवता हैं, सब लोग यहां स्नान कर अपने पाप धुलते हैं.
Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें
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