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मध्य प्रदेश में अमरनाथ! खरगोन में छिपा है भगवान शिव का चमत्कारी मंदिर, जहां प्रकृति खुद करती है अभिषेक


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Amarnath Mandir: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के बिजागढ़ महादेव मंदिर में एक अद्भुत गुफा स्थित है, जहां शिवलिंग का अभिषेक प्रकृति खुद करती है. ये मंदिर अमरनाथ जैसा दिखता है.

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बीजागढ़

बीजागढ़ महादेव की गुफा.

हाइलाइट्स

  • मध्य प्रदेश के खरगोन में बिजागढ़ महादेव मंदिर है.
  • यहां प्रकृति खुद शिवलिंग का अभिषेक करती है.
  • मंदिर तक पहुंचने के लिए 300 मीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है.

खरगोन. देवों के देव महादेव के जितने भी प्रसिद्ध मंदिर हैं, उनमें से अधिकांश बर्फीले इलाकों में या ऊंची पहाड़ियों पर गुफाओं में मौजूद हैं. हैरानी की बात, तो यह है कि भक्त उन्हें ढूंढते हुए वहां भी पहुंच जाते हैं. ऐसा ही भगवान शिव का एक प्राचीन स्थल मध्य प्रदेश के खरगोन में सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच एक गुफा में मौजूद है. यह स्थल बिजागढ़ महादेव के नाम से प्रसिद्ध है. जहां पूरे साल प्रकृति खुद भगवान का अभिषेक करती है.

जिला मुख्यालय से करीब 37 km दूर भगवानपुरा तहसील में ऊंची पहाड़ी पर यह स्थल है. बताया जाता है कि, लगभग 200 साल पहले यह इस अद्भद स्थल से लोग अनजान थे, लेकिन, दरबार समाज के एक व्यक्ति को भगवान में स्वप्न में दर्शन दिए और खुद रह दिखाते हुए, यहां तक लेकर आएं. आज न सिर्फ खरगोन, बल्कि पड़ोसी जिलों सहित महाराष्ट्र से भी बड़ी संख्या में भक्त बाबा के दर्शन के लिए यहां आते है.

स्वप्न में दिए दर्शन, फिर हुई मंदिर की खोज
मंदिर के सेवादार मांगीलाल पाटीदार बताते है कि, यह स्थल सैकड़ों वर्ष पुराना है. शिवलिंग की स्थापना किसने की यह तो नहीं जानते पर सुना है कि, रायबिड़पूरा के रहने वाले दरबार समाज में अमरसिंह मंडलोई के दादा को भगवान ने स्वप्न में दर्शन दिए थे, जिसके बाद जिन्होंने ने ही भगवान के इस दिव्य स्थल की खोज की थी. यहां लगभग 6 फीट ऊंची गुफा में तीन शिवलिंग पहले से स्थापित थे, एक बाद में स्थापित किया गया.

बिना ऑपरेशन के जुड़ गया टूटा पैर
मान्यता है कि, भगवान साक्षात् यहां मौजूद है. इसलिए भक्तों द्वारा जो भी मनोकामना मांगी जाती है. वह पूरी अवश्य होती है. शिखंडी गांव के रहने वाले 76 वर्षीय झवरसिंह बताते है कि, एक हादसे में उनका बाया पैर टूट गया था. डॉक्टरों ने कहा था कि जुड़ जाएगा पर काम नहीं करेगा. तब उनका भाई कंधे पर उठाकर बाबा की शरण में लाया और बाबा के आशीर्वाद से बिना ऑपरेशन के उनका पैर जुड़ गया. आज वह खुद पहाड़ चढ़कर नियमित दर्शन के लिए आते है.

यहां आकर सुकून की अनुभूति होती है
खरगोन से दर्शन के लिए आए भक्त रमित सागौर, सुमित सागौर एवं अनीता बाई कहते हैं कि यहां आने के बाद बहुत सुकून की अनुभूति होती है. सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. यह पूरा क्षेत्र पेड़ पौधों और पहाड़ों से घिरा है. बारिश के दिनों में एक प्राकृतिक झरना भी बहता है. यहां की गुफा अमरनाथ की तरह ही है. वहां बर्फ से शिवलिंग बनती है. जबकि, यहां प्रकृति ने भी चट्टान को काटकर अमरनाथ जैसा रूप दे दिया है.

मंदिर तक कैसे पहुंचे
1 ऊंची पहाड़ी के घाट सेक्शन को पार करते हुए जलालाबाद होते हुए बीजागढ़ गांव तक यहां वाहनों के माध्यम से आसनी से पहुंच सकते है. इसके बाद मुन्ना बाबा के आश्रम से लगभग 300 मीटर ऊंचाई पर मौजूद इस गुफा में जाने के लिए सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. यहां से फिर करीब 15 सीढ़ियां उतरकर नीचे जाना होगा. सामने गुफा में अमरनाथ रूपी बीजागढ़ महादेव के दर्शन होंगे. यहां प्रकृति द्वारा बूंद-बूंद पानी शिवलिंग का अभिषेक होते हुए भी आप वर्षभर देख सकेंगे.

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