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महाकाल की नगरी में ठंड की दस्तक, बदल गई भगवानों की दिनचर्या, मंदिर जाने से पहले जान लें यहां आरती का समय


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Ujjain News: महाकाल की नगरी मे ठंड के मौसम की शुरुआत हो चुकी है. इन दिनों लोगों के साथ भगवान की दिनचर्या भी बदल चुकी है. अगर आप भी उज्जैन के महाकाल मंदिर, गोपाल मंदिर, संदीपनी आश्रम और इस्कॉन मंदिर जा रहे तो यह खबर आपके लिए बड़े काम की है.

उज्जैन

सर्दियों का मौसम शुरू हो चूका है. हर कोई व्यक्ति की दिनचर्या बदलती नज़र आ रही है. जिसमे खान-पान के साथ सोने और जागने का समय भी बदल गया है. महाकाल की नगरी जिसे धार्मिक नगरी नाम से भी जाना जाता है. यहा आम लोग के साथ भगवान की भी इन दिनों दिनचर्या मे बदलाव देखने को मिल रहा है.

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अवंतिका नगरी मे सैकड़ो मंदिर है. जो करोड़ो लोगों की आस्था का केंद्र है. इन मंदिरो मे भी ठंड के मौसम मे भगवान के भोग के साथ दिनचर्या मे भी बदलाव हुआ है. अगर आप भी इन मंदिरो मे दर्शन करने जाने वाले है. तो जान लीजिए भगवान के उठने से लेकर शयन करने तक समय और भोग के बारे मे. आइए जानते है उज्जैन के प्रसिद्ध तीन मंदिर के बारे मे जहाँ इन दिनों यह परिवर्तन जारी है.

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विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की दिनचर्या मे भी ठंड के कारण परम्परा अनुसार बदलाव हुआ है. जिसमे 8 अक्टूबर 2025 बुधवार कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तक श्री महाकालेश्वर भगवान की 3 आरतियों में परिवर्तन हो गया है. जिसमें प्रातः होने वाली द्दयोदक आरती 07:30 से 08:15 तक भोग आरती प्रातः 10:30 से 11:15 तक व संध्या आरती सायं 06:30 से 07:15 बजे तक हो रही है. इसी प्रकार भस्म आरती प्रातः 04 से 06 बजे तक सायंकालीन पूजन सायं 05 से 05:45 तक व शयन आरती रात्रि 10:30 से 11 बजे तक अपने निर्धारित समय पर ही हो रही है.

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इसी के साथ भगवान महाकाल का भोग भी बदलाव होता है. पुजारी महेश गुरु ने कहा 4 महीने की शरद ऋतु ठंड मानी जाती है. जैसे मनुष्य अपनी दिनचर्या में बदलाव करता है. वैसे ही भगवान महाकाल की भी दिनचर्या बदलती है. कार्तिक, अगहन पौष और माघ ये 4 महीने होते है. इसमें ठंड का मौसम होता है. भगवान गर्म जल से स्नान करते हैं. और दिनचर्या मे बदलाव होता है.

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शीतकाल के कारण द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में आरतियों के समय में भी परिवर्तन किया गया है. पुजारी पावन शर्मा के अनुसार, शीतकाल में आरती के समय में आधा घंटे का अंतर होता है. प्रथम दर्शन सुबह 5 बजे, कांकड़ आरती सुबह 5:30 बजे, मंगला आरती सुबह 6 बजे, राजभोग आरती सुबह 10:30 बजे और मध्यान्ह शयन दोपहर 12 बजे हो रहा है. संध्या आरती शाम 6:30 बजे और शयन आरती रात्रि 8:15 बजे से 8:30 बजे तक संपन्न हो रही है.

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ठंड बढ़ने के साथ ही सांदीपनि आश्रम में भी भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा के बाल रूप की सेवा-सुश्रुषा में बदलाव किया गया है. भगवान को सर्दी का एहसास न हो, इसलिए आश्रम में उनकी दिनचर्या में ऊनी वस्त्र, गर्म भोजन और संध्या के समय अंगीठी की व्यवस्था की गई है.साथ ही शाम को भगवान को गर्म दूध के साथ जलेबी का भोग भी लगाया जा रहा है.

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पंडित व्यास ने बताया कि सूर्यदेव के उत्तरायण होने तक यह विशेष शीतकालीन सेवा जारी रहेगी. आश्रम में रोजाना शाम को अंगीठी जलाकर रखी जाती है और भगवान की सेवा-विधि में गर्माहट प्रदान करने वाले सभी आवश्यक उपाय शामिल रहते हैं.

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भरतपुरी स्थित इस्कॉन मंदिर में भी शीतकाल के कारण कई परिवर्तन हुए है. पीआरओ राघव पंडित दास ने बताया कि प्रातः4:30 मंगल आरती, प्रातः 4:55 नृसिंह आरती, प्रातः 5:05 तुलसी आरती, प्रातः 5:15 भगवदगीता पाठ, प्रातः 5:30 हरे कृष्ण “महामंत्र” जप, प्रातः7:25 नृसिंह आरती,प्रातः 7:30 श्रंगार आरती, गुरुपूजा, प्रातः 8:00 भागवत कथा, प्रातः 8:30 बालभोग आरती, दौप: 12:15 राजभोग आरती, दौपहर 1 बजे से 4 बजे तक पट बंद, सांय: 4 धूप आरती, सांय: 6:15 तुलसी आरती(ग्रीष्म) 6:40 बजे, सांय: 6:30 संध्या आरती (ग्रीष्म) 7बजे, सांय: 7:40 से 8:30 तक पट बंद (ग्रीष्म) 8:10 से 9 बजे रात्रि: 8:30 शयन आरती (ग्रीष्म) 9बजे रात्रि 8:45 पट बंद, (ग्रीष्म) 9:15 बजे तक रहेगा.

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