Tuesday, September 23, 2025
29 C
Surat

महाभारत: क्यों हनुमान ने तोड़ा अर्जुन का घमंड, कहा – मेघनाथ जैसा कोई धर्नुधर नहीं


माना जाता है कि अर्जुन से बड़ा धनुर्धर भारत में नहीं हुआ. उनको इस बात को लेकर घमंड भी आ गया था. तब हनुमान कुछ ऐसा किया कि अर्जुन सबसे बेहतरीन धनुर्धर होने का सपना चूर चूर हो गया. हनुमान ने तब अर्जुन से कहा कैसे मेघनाथ उनसे कहीं ज्यादा बेहतर धनुर्धर थे. क्या था ये पूरा वाकया.

भारत में सनातन धर्म की ज्यादातर कहानियां श्रुतियों और दंतकथाओं में भी चलती हैं. कई ऐसी कहानियां होती हैं जो किसी धर्मग्रंथ में नहीं होती लेकिन पौराणिक पात्रों के असली चरित्र का सटीक बखान करती हैं. मेघनाद के बारे में ऐसी ही एक दंतकथा पूर्वी यूपी और बिहार के कुछ हिस्सों में मशहूर है. इस कथा के मुताबिक महाभारत में एक समय ऐसा आया जब अर्जुन को अपने सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर होने का अहंकार हो गया था.

कृष्ण को भी लगा था कि अर्जुन को अहंकार आ गया
अर्जुन ने यह बात अनजाने में एक बार श्रीकृष्ण से भी कही. अर्जुन की बातों का सार ये था कि उनसे बेहतरीन धनुर्धर न कोई हुआ और न होगा. महाभारत में श्रीकृष्ण ने कई पात्रों के अहंकार को तोड़ा था. उन्हें लगा कि उनका मित्र एक बड़े अहंकार में जी रहा है तो उन्होंने सोचा कि इसे भी खत्म करना चाहिए.

हनुमान ने अर्जुन को क्या चुनौती दी
श्रीकृष्ण ने इसके लिए हनुमान को चुना. हनुमान की बदौलत श्रीकृष्ण ने कई अन्य पात्रों के घमंड चकनाचूर किए थे. इसे लेकर भी कई कथाएं हैं. कुछ दिनों बाद एक दिन हनुमान और अर्जुन की मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा कि मैंने सुना आप शानदार धनुर्धर हैं. अर्जुन मुस्कराए और हामी भरी. फिर हनुमान ने कहा कि चलिए आपकी परीक्षा लेता हूं. उन्होंने कहा कि मैं आसमान में उड़ूंगा और आप मुझ पर निशाना लगाइए. अचंभित अर्जुन ने पहले तो मनाही की लेकिन फिर बाद में तैयार हो गए.

भगवान हनुमान ने मेघनाद की खूब तारीफ की थी.

तब हनुमान ने कैसे तोड़ा घमंड
कथा के मुताबिक सुबह से शाम हो गई लेकिन अर्जुन का एक भी तीर हनुमान के शरीर को छू भी नहीं सका. जब हनुमान लौटे तो उन्होंने कहा कि आप तो बेहद कमजोर धनुर्धर हैं. हनुमान ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मैंने आज तक मेघनाद जैसा धनुर्धर नहीं देखा. उन्होंने अशोक वाटिका की घटना याद की और बताया कि मैं तब जवान था और मेघनाद के तीरों ने मेरा शरीर बेध दिया था. वो सिर्फ मेघनाद ही था जो मुझे उस समय पकड़ सकता था. आप तो उसके मुकाबले में कहीं ठहरते नहीं. अर्जुन ये सुनकर शर्मसार हो गए और उनका घमंड टूटा.

सबसे ताकतवर था मेघनाथ
रामायण के कई जानकारों ने मेघनाद को रावण और कुंभकर्ण से भी ज्यादा ताकतवर और बलवान माना था. कहा जाता है कि राम के साथ युद्ध में रावण को सबसे ज्यादा भरोसा मेघनाद पर ही था. मेघनाद लंका के राजा रावण का पुत्र था जो मंदोदरी के गर्भ से पैदा हुआ था. जन्म लेते ही मेघ के समान गर्जना करने की वजह से उसका नाम मेघनाद रखा गया.

हनुमान ने अर्जुन को चुनौती दी कि वो हवा में उड़ रहे हैं, वो उनको तीर मारकर दिखाएं (Image generated by Leonardo AI)

जन्म की कहानी, रावण ने सभी ग्रहों को बनाया था बंदी
मेघनाद के जन्म की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. लंकापति रावण अपूर्व पराक्रमी था. उसने मेघनाद के जन्म के समय सभी ग्रहों को बंदी बना लिया था जिससे मेघनाद का जन्म सबसे शानदार नक्षत्र में हो. इच्छा ये थी कि मेघनाद अजेय और अमर हो. सभी ग्रहों को रावण का आदेश था कि सभी को अपनी उच्च राशि में ही रहना है. लेकिन जब मेघनाद के जन्म का समय आया तब शनि ग्रह ने अपनी स्थिति बदल दी. अगर ऐसा नहीं होता तो मेघनाद अपराजेय और अमर रहता. इस वजह से रावण इतना गुस्से में आ गया कि उसने शनि पर गदे प्रहार कर दिया. इसी वजह से कहा जाता है कि शनि की चाल में लंगड़ाहट आ गई.

कहा जाता था इंद्रजीत
मेघनाद ने दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य के निर्देशन में कई यज्ञ किए और बड़ा पराक्रमी बना. जब रावण ने देवताओं पर हमला किया था तब ये मेघनाद ही था जिसने इंद्र को कब्जे में कर लिया था. वो युद्ध के समय गायब हो जाता था. अदृश्य होकर हमला करने की वजह से शत्रु को बुरी हार का सामना करना पड़ता था. इंद्र को कब्जे में लेने की वजह से देवताओं में हाहाकार मच गया और फिर जब उसने इंद्र को छोड़ा तो उसे ब्रह्मा से वरदान मिले. उसे इंद्रजीत का नाम दिया गया. कई सिद्धियां दी गईं. साथ ही यह भी वरदान मिला कि हर युद्ध के पहले उसके लिए यज्ञ की अग्नि से घोड़ा निकलेगा लेकिन अगर यज्ञ पूरा नहीं हुआ तो वो मारा जाएगा.

कैसे हुआ मेघनाद का अंत
कहा जाता है कि मेघनाद बेहद नैतिक योद्धा भी था. एक कहानी यह भी है कि उसने रावण को समझाया था कि सीता को वापस कर दिया जाना चाहिए. लेकिन रावण माना नहीं, साथ ही उसने मेघनाद पर भयभीत होने का आरोप भी लगाया. इस आरोप से गुस्साए मेघनाद ने रावण की सभा में मेघ के समान गर्जना कर कहा था-डरता नहीं हूं लेकिन सत्य आपको बताना जरूरी था, आप मेरे पिता हैं, मैं युद्ध तो आपकी तरफ से ही लड़ूंगा.

राम से यु्द्ध के पहले भी मेघनाद ने अपनी कुल देवी की पूजा की थी. उसने लक्ष्मण को नागपाश के जरिए अचेत कर दिया था. लेकिन बाद में लक्ष्मण को बताया गया था कि मेघनाद के इस यज्ञ में विघ्न डालकर ही जीत हासिल की जा सकती है. लक्ष्मण ने ऐसा ही किया. यज्ञ के दौरान ही युद्ध हुआ और लक्ष्मण ने मेघनाद के लिए अग्नि से निकले घोड़े और सारथी दोनों को मार दिया. मेघनाद लंका से फिर अपने लिए नया रथ लेकर आया लेकिन अब तो उसकी हार होनी ही थी. दोनों में फिर युद्ध आरंभ हुआ. अंत में लक्ष्मण ने मेघनाद को मार डाला.

Hot this week

Topics

Red Sauce Pasta Recipe। रेड सॉस पास्ता रेसिपी

Italian Pasta Recipe: आप पास्ता बनाने के शौकीन...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img