चंदौली: यूपी के चंदौली में LLM की पढ़ाई करने के बाद अक्सर लोग कानून के विशेषज्ञ होते हैं, जो अपने करियर की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय कानून, कॉर्पोरेट कानून, श्रम कानून, मानवाधिकार के साथ कई अन्य क्षेत्रों में बेहतर मुकाम हासिल कर लोगों को न्याय देने का काम करते हैं, लेकिन एक शख्स खुद इस डिग्री को प्राप्त करने के बाद पुस्तैनी मंदिर की रखवाली करने में लग गया है. हम बात कर रहे हैं, ऐसे शख्स की जो मुगलसराय के राधा-कृष्ण मंदिर के पुजारी विनोद पांडेय की, जो पिछले कई सालों से भक्ति भाव में लीन होकर राधा-कृष्ण की पूजा करने में लीन हैं.
सैकड़ों साल पुराना है यह मंदिर
पुजारी विनोद पांडेय ने अपनी आप बीती घटना की जानकारी देते हुए Bharat.one से बताया कि वह दौर था. जब वह पढ़ाई में पूरी तरह से लीन थे. उनके घर का यह पुश्तैनी मंदिर सैकड़ो साल पुराना है. जिस मंदिर की देखरेख एवं पूजा पाठ घर के ही लोग करते थे. बदलते समय के साथ इस मंदिर पर किसी मुस्लिम परिवार ने अतिक्रमण करने का काम शुरू कर दिया था. जैसे ही इस बात की जानकारी इनको मिली. यह पढ़ाई छोड़ अपने पारिवारिक मंदिर की धरोहर को बचाने के लिए इस मंदिर में अवस्थित देवताओं की पूजा में लीन हो गए, जो इस मंदिर को बचाने में कामयाब हो गए.
पांच पीढ़ी से हो रही है पूजा
इस मंदिर की विशेषता के बारे में पुजारी ने बताया कि यह सैकड़ो वर्ष पुराना मंदिर है. यह मंदिर उस समय बना, जब परिवार के लोग अपने जमीन का बंटवारा कर रहे थे. उसी में से एक हिस्सा मंदिर के लिए छोड़ दिया गया, जो लगभग ढाई बीघे के भूभाग पर फैला हुआ है. इस मंदिर के प्रारंभिक पुजारी शिव शंकर पांडेय इसके बाद श्याम कृष्णा पांडेय, अशोक पांडेय एवं पांचवीं पीढ़ी के विनोद पांडेय हैं.
यहां उत्सवों पर लगता है विशाल मेला
भारतीय सांस्कृतिक परंपरा के अनुसार हर उत्सव पर यहां मेला लगता है. यहां बहुत दूर-दूर के लोग हजारों की संख्या में आकर पूजा अर्चना कर अपने मन्नते पूरी करते हैं. लोगों का ऐसा मानना है कि यहां आने के बाद हर मन्नतें पूरी हो जाती हैं. खासकर शिवरात्रि, कृष्ण जन्माष्टमी एवं सावन के महीने में काफी भीड़ होती है.
वहीं, एक सवाल पुजारी से पूछा गया कि आप कितना भरोसा करते हैं ? इन्होंने अपने स्वयं पर घटित घटना की जानकारी देते हुए बताया कि इस मंदिर को बर्बाद करने की कई बार योजना बनाई गई, लेकिन सब विफल हो गया. इनके ऊपर भी कई बार हमला करने का प्रयास किया गया, जो निरर्थक साबित हुआ है. ऐसे में यह साबित होता है कि मंदिर में विराजमान देवता उनके सारथी है.
FIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 07:42 IST