Friday, November 21, 2025
19 C
Surat

मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है? पितृपक्ष में तर्पण से जुड़ी है पितरों की गति, आचार्य से समझें


खरगोन. अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर मृत्यु के बाद आत्मा की मुक्ति कैसे होती है? इस पर प्राचीन शास्त्रों में कई बातें कही गई हैं. गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण सहित अन्य धर्म शास्त्रों में आत्मा की गति और मुक्ति का विस्तार से वर्णन है, जो व्यक्ति के कर्मों के आधार पर निर्धारित होता है.

खरगोन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित पंकज मेहता ने Bharat.one को बताया कि गरुड़ पुराण, स्कंद पुराण, विष्णु पुराण और पद्म पुराण जैसे शास्त्रों में भी आत्मा की गति और मुक्ति को लेकर उल्लेख मिलता है. कहा गया कि यदि किसी सामान्य व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा 12 दिन तक उस स्थान पर रहती है. 13वें दिन से उसकी यात्रा यमलोक की यात्रा शुरू होती है. यह यात्रा आत्मा के कर्मों के आधार पर तय होती है.

योगियों को नहीं भोगनी होगी यातनाएं
धर्मनिष्ठ व्यक्ति की आत्मा मृत्यु के बाद उसके सभी कर्मों और पापों से मुक्त हो जाती है और उसे यमदूतों का सामना नहीं करना पड़ता. योगियों के लिए यह प्रक्रिया अलग होती है, वे सीधे उर्ध लोकों में जाते हैं. लेकिन, जो लोग सामान्य कर्मों में बंधे होते हैं, उन्हें यमलोक की यात्रा करनी पड़ती है.

प्रेतकल्प के अनुसार मुक्ति यात्रा
पंडित पंकज मेहता बताते हैं कि गरुड़ पुराण के प्रेतकल्प में यह बताया गया है कि आत्मा को यमलोक तक पहुंचने में 348 दिन लगते हैं. यमलोक और मृत्युलोक (धरती) के बीच 86,000 योजन का अंतराल होता है. व्यक्ति की आत्मा प्रतिदिन 247 योजन तय करती है. इस दौरान आत्मा को उसके कर्मों के आधार पर सुख या दुख का अनुभव होता है.

पापी और पुण्यात्मा की स्थिति
अगर व्यक्ति पापी होता है, तो यमलोक की यात्रा में उसे अनेक कष्टों और दंडों का सामना करना पड़ता है. शास्त्रों के अनुसार, पापी आत्माओं को यमलोक की यात्रा के दौरान सजा दी जाती है और उन्हें विभिन्न यातनाओं से गुजरना होता है. वहीं, पुण्य आत्माओं को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता और उनकी यात्रा शांतिपूर्ण होती है.

मृत्यु के बाद मुक्ति के दो प्रकार
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, शास्त्रों में दो प्रकार की मुक्ति का उल्लेख मिलता है, सामान्य मुक्ति और शद्य मुक्ति. जो योगी या धर्मनिष्ठ होते हैं, उन्हें शद्य मुक्ति प्राप्त होती है. उनका शरीर छोड़ने के बाद वे सीधे उर्ध लोकों में जाते हैं और उन्हें यमदूतों से सामना नहीं करना पड़ता. वहीं, सामान्य कर्मों में बंधे लोग कर्मों से मुक्त होने के बाद भी यमलोक की यात्रा करते हैं.

पितृपक्ष का महत्व
पितृपक्ष के दौरान किए गए श्राद्ध और तर्पण कर्म आत्मा की मुक्ति में सहायक होते हैं. पंडित मेहता बताते हैं कि इस समय पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किया गया कोई भी कर्म उन्हें मोक्ष की ओर ले जाने में मदद करता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

Hot this week

Topics

ताउम्र रहना है सेहतमंद, तो सुबह

https://www.youtube.com/watch?v=peFf_eCxnco Benefits Of Pranayams: सुबह उठते से ही मोबाइल...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img