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मेवाड़ की अनूठी परंपरा! धनतेरस पर सोना-चांदी नहीं ये चीज घर लाती हैं महिलाएं, सुख-समृद्धि का माना जाता है प्रतीक


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Unique tradition of Mewar on Dhanteras: भीलवाड़ा में धनतेरस के अवसर पर पीली मिट्टी की पूजा की प्राचीन परंपरा जीवित है. महिलाएं सूर्योदय से पहले घर से मिट्टी लेकर पूजा करती हैं और इसे माता लक्ष्मी का प्रतीक मानती हैं. मान्यता है कि जितनी अधिक मिट्टी घर लाई जाती है, उतनी ही धन-समृद्धि और सुख-शांति घर में आती है.

भीलवाड़ा. मेवाड़ अपनी समृद्ध परंपराओं और अनोखी सांस्कृतिक धरोहर के लिए विश्वभर में विख्यात है. मेवाड़ के प्रवेश द्वार माने जाने वाले भीलवाड़ा में धनतेरस के पावन अवसर पर एक ऐसी अनूठी परंपरा निभाई जाती है, जो सदियों पुरानी है और आज भी उतनी ही जीवंत है. इस परंपरा के तहत महिलाएं सूर्योदय से पहले अपने घरों से खाली बर्तन लेकर निकलती हैं और एक विशेष स्थान पर पीली मिट्टी की पूजा करती है. इस मिट्टी को माता लक्ष्मी का प्रतीक मानकर घर लाया जाता है और पूजा स्थल पर इसका लेप किया जाता है. मान्यता है कि इस मिट्टी में माता लक्ष्मी का वास होता है, और जितनी अधिक मिट्टी घर लाई जाती है, उतनी ही अधिक धन-समृद्धि घर में आती है.

यह परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी सास-बहुओं द्वारा निभाई जा रही है, जो सूर्योदय से पहले विशेष रूप से तोर (स्थानीय स्थान) पर मिट्टी की आराधना करती हैं और घर में सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. 40 वर्षों से इस परंपरा को निभा रहीं दुर्गा देवी ने Bharat.one से विशेष बातचीत में बताया कि यह परंपरा सास-बहू मिलकर निभाती हैं. दीपावली पर माता लक्ष्मी का घर में प्रवेश हो, इसके लिए हम धन के प्रतीक के रूप में मिट्टी लाते हैं. हमारे बड़े-बुजुर्गों का मानना है कि जितनी मिट्टी घर लाई जाती है, उतनी ही धन की वर्षा होती है. उनकी बातों में इस परंपरा के प्रति गहरी श्रद्धा और विश्वास झलकता है, जो इस रीत को और भी खास बनाता है.

धनतेरस के साथ ही शुरू हो जाती है पांच दिवसीय उत्सव 

इसी परंपरा को निभाने आई पूजा कुमारी सांखला ने Bharat.one को बताया कि दीपावली का त्योहार नजदीक है और धनतेरस के साथ ही पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत हो जाती है. हमारे यहां यह परंपरा है कि सभी महिलाएं सूर्योदय से पहले माता लक्ष्मी के प्रतीक के रूप में पीली मिट्टी की पूजा करती हैं. हम धन के सम्मान में इस मिट्टी को घर लाते हैं। पूजा के लिए हम कुमकुम, अगरबत्ती, दीपक, धान और कुछ सिक्के लेकर जाते हैं. श्रद्धाभाव से पीली मिट्टी की पूजा-अर्चना करते हैं और माता लक्ष्मी से प्रार्थना करते हैं कि वे धन के रूप में हमारे घर पधारें. इस दौरान हम एक विशेष स्थान पर रुकते हैं, जहां माता को विश्राम करवाया जाता है और वहां स्वस्तिक बनाया जाता है. मान्यता है कि पुराने समय में घर मिट्टी के ही हुआ करते थे, और इसी मिट्टी में माता लक्ष्मी का वास होता है. इसलिए इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है.

लक्ष्मी पूजन पर है विशेष महत्व

अनुष्का तिवारी ने बताया कि इस पीली मिट्टी से हम अपने घर का शुद्धिकरण करते हैं. इसे ‘पिला सोना’ भी कहा जाता है. इस मिट्टी को घर की तिजोरी में रखा जाता है और लक्ष्मी पूजन में इसका विशेष महत्व है. मान्यता है कि इसी मिट्टी के माध्यम से माता लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं, जिससे सुख, समृद्धि और निरोगता का वास होता है. इस परंपरा में शामिल महिलाओं का उत्साह और श्रद्धा देखते ही बनता है, जो इस रीत को न केवल जीवित रखे हुए हैं, बल्कि इसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

परिवार की खुशहाली के लिए महिलाएं करती हैं मिट्‌टी की पूजा

कविता शर्मा ने बताया कि यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देती है. सुबह-सुबह महिलाएं एक साथ इकट्ठा होती हैं, मिट्टी की पूजा करती हैं और अपने परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं. यह रीत पर्यावरण के प्रति सम्मान को भी दर्शाती है, क्योंकि मिट्टी को प्रकृति का अनमोल उपहार माना जाता है. भीलवाड़ा की यह परंपरा मेवाड़ की सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल हिस्सा है, जो आधुनिकता के दौर में भी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है. यह न केवल धनतेरस के उत्सव को और भी खास बनाती है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि परंपराएं हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखती है.

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deep ranjan

दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से Bharat.one हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें

दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से Bharat.one हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट… और पढ़ें

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मेवाड़ की अनूठी परंपरा! धनतेरस पर सुख-समृद्धि के लिए ये चीज घर लाती हैं महिलाएं

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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