Harsingar Flowers: धर्म शास्त्रों में तमाम ऐसे पेड़-पौधों का जिक्र है, जो पूजनीय माने गए हैं. मान्यता है कि, इस पेड़-पौधे और उनके फूल में दैवीय ऊर्जा पाई जाती है. इन पेड़-पौधों के स्पर्श मात्र से ही कई मुसीबतें टल जाती हैं. ऐसे ही करामाती पौधों में से एक है हरसिंगार. जी हां, हरसिंगार को पारिजात के नाम से भी जाना जाता है. इस पौधे को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है. नारंगी डंडी और सफेद फूलों से लदे इस पौधे को आपने कई जगहों पर दिखा होगा.
ज्योतिषविदों की मानें तो जिस घर में हरसिंगार का पौधा लगा होता है. उस घर में माता लक्ष्मी का वास होता है. यही नहीं, यदि इस पौधे को घर की सही दिशा में लगाया जाए, तो कई प्रकार की समस्याएं दूर हो सकती हैं. अब सवाल है कि आखिर परिजात को पौधा घर में लगाने से क्या लाभ होगा? हरसिंगार के फायदों के बारे में Bharat.one को बता रहे हैं उन्नाव के ज्योतिषाचार्य ऋषिकांत मिश्र शास्त्री-
परिजात के इन उपायों से समस्याएं होंगी दूर!
घर में होगी बरकत: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, हरसिंगार के फूल मां लक्ष्मी को बेहद प्रिय हैं. कहा जाता है कि, जहां भी इसकी खुशबू होती है धन की देवी वहीं रुक जाती हैं. ऐसा करने वाले जातकों की दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की होने लगती है. साथ ही, घर के लोगों का मानसिक तनाव दूर होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है.
वास्तु दोष दूर होगा: घर में हरसिंगार का पौधा लगाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. इस पौधे में माता लक्ष्मी का वास माना जाता है. यदि इस पौधे को घर के उत्तर या पूर्व दिशा में लगाया जाए, तो घर से वास्तु दोष दूर होता है. साथ ही इस पौधे के फूल को देखने से जीवन में सुकून आता है.
नौकरी व व्यापार में लाभ: यदि आप काफी दिनों से नौकरी या व्यापार में उन्नति नहीं पा रहे हैं. तो हरसिंगार के 21 फूल को लाल कपड़े में बांधकर घर या अपने व्यापार स्थल पर माता लक्ष्मी के पास रख दें. मान्यता है कि ऐसा करने से व्यापार में तरक्की होती है, और नौकरी पेशा लोगों के करियर में अच्छे अवसर आते हैं.
रुका धन मिलेगा: यदि आपका धन कहीं पर अटक गया है, या फिर आप कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं. तो आपको हरसिंगार के पौधे की जड़ का एक टुकड़ा लेकर उसे लाल कपड़े में बांधकर माता लक्ष्मी के सामने रख देना है. इसके बाद विधिवत रूप से माता लक्ष्मी और जड़ की पूजा करें, और जड़ पर हल्दी व सिंदूर का तिलक लगाएं. इसके बाद कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें.
FIRST PUBLISHED : December 9, 2024, 14:32 IST