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ये है 300 साल पुरानी रामचरितमानस, भोजपत्र पर लिखा गया अद्भुत दस्तावेज, दूर-दूर से देखने आते हैं लोग



बलिया: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में स्थित उदासीनाथ मठ में 300 साल पुरानी श्रीरामचरितमानस का अद्भुत संस्करण आज भी सुरक्षित है. यह प्राचीन रामचरितमानस भोजपत्र पर बिना किसी पन्ने के लिखी गई है. उस समय की तकनीक और लेखन शैली को देखते हुए यह एक बेजोड़ धरोहर है, जिसे आज की आधुनिक तकनीक भी चुनौती नहीं दे सकती.

भोजपत्र पर लिखी गई मानस की कहानी
उदासीनाथ मठ के 12वें मठाधीश नित्यानंद दास ने बताया, “यह रामचरितमानस मठ के पांचवें मठाधीश ब्रह्मलीन शिवशंकर दास जी द्वारा भोजपत्र पर लिखी गई थी. यह उस समय की बात है जब कागज का आविष्कार नहीं हुआ था और लोग भोजपत्र पर लेखन करते थे. रामचरितमानस को पत्तियों और दवात की मदद से लिखा गया था. इसे देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं.”

हर पन्ना आज भी सुरक्षित
300 सालों के बाद भी इस रामचरितमानस के सभी पन्ने सुरक्षित हैं. इसमें लिखे गए दोहे, चौपाई और छंद बड़े अक्षरों में स्पष्ट रूप से पढ़े जा सकते हैं. बड़े अक्षरों में लेखन उस समय की परंपरा का हिस्सा था. रामचरितमानस की लेखनी न केवल सुंदर है, बल्कि इसकी संरचना भी आश्चर्यजनक है.

सुरक्षा की चुनौती
मठ के महंथ नित्यानंद दास इस अनमोल धरोहर की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने कहा, “यह भारत का एक ऐतिहासिक दस्तावेज है. हमारी कोशिश है कि इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखा जाए ताकि वे जान सकें कि हमारे पूर्वज किस तरह लेखन और ज्ञान को संरक्षित करते थे.”

एक विरासत जो प्रेरणा देती है
यह रामचरितमानस भारत की प्राचीन संस्कृति और लेखन की अद्भुत परंपरा का प्रतीक है. भोजपत्र पर लिखे इस दस्तावेज को देखकर आज भी लोग उस युग की सरलता और समर्पण को महसूस कर सकते हैं. बलिया के उदासीनाथ मठ में यह धरोहर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि भारत की ऐतिहासिक विरासत का जीता-जागता उदाहरण भी है.

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Last Updated:September 23, 2025, 18:18 ISTAstrology Tips For...
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