अनुज गौतम, सागर: मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित रानगिर की हरसिद्धि माई का मंदिर अद्भुत रहस्यों और आस्था से जुड़ा हुआ है. नवरात्रि के दौरान यहां लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं. माना जाता है कि तीन रूपों में दर्शन देने वाली हरसिद्धि माई सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं. विंध्य पर्वत की श्रृंखलाओं के बीच स्थित यह स्थान सदियों पहले घने जंगलों में छिपा था. आज भी इस इलाके में प्राकृतिक सौंदर्य बना हुआ है, जिसमें नदी, पहाड़ और झरने शामिल हैं.
माता की स्थापना से जुड़ी जनश्रुति
स्थानीय किवदंतियों के अनुसार, सदियों पहले एक रहस्यमयी कन्या नदी पार से रोज गांव में खेलने आती थी. वह शाम होते ही जंगल में चली जाती और अपनी सहेलियों को सोने और चांदी के सिक्के देकर जाती थी. जब गांववालों ने अपनी बेटियों से इस कन्या की पहचान पूछने की कोशिश की, तो वह कुछ भी नहीं बताती थी. यह सिलसिला काफी समय तक चलता रहा, जिसके बाद गांव वालों ने उसे पकड़ने की योजना बनाई.
कन्या का पत्थर बनना
एक दिन गांववालों ने छिपकर उस कन्या का पीछा करना शुरू किया. जब वह नदी पार कर जंगल की ओर जा रही थी, तब उसने मुड़कर देखा और जैसे ही उसकी नजर गांववालों पर पड़ी, वह उसी स्थान पर पाषाण (पत्थर) की हो गई. जहां वह पत्थर बनी, वहां एक बेल का पेड़ था, और माता का मुख दक्षिण दिशा की ओर है. यह प्रतिमा अपने आप में अद्वितीय है, क्योंकि अधिकतर दुर्गा माता के मंदिरों में मूर्तियों का मुख पूर्व या उत्तर की ओर होता है, जबकि यहां दक्षिण की ओर है.
स्वयंभू शक्तिपीठ की मान्यता
हरसिद्धि माई के इस मंदिर को स्वयंभू पीठ भी माना जाता है, जहां किसी प्रकार के तंत्र-मंत्र का प्रयोग नहीं होता. कहा जाता है कि माता ने स्वप्न में प्रकट होकर बताया था कि वह दुर्गा के हरसिद्धि रूप में यहां आई हैं और उनकी सेवा यहीं की जाए. तभी से इस स्थान पर माता की पूजा शुरू हुई, जो आज तक जारी है. मंदिर के पुजारी कामता प्रसाद शास्त्री, जो परिवार की दसवीं पीढ़ी से हैं, बताते हैं कि उनका परिवार सदियों से इस मंदिर की सेवा कर रहा है. यहां आने वाले श्रद्धालु माता के चमत्कारों और आशीर्वाद से अपने कष्टों से मुक्त होते हैं.
बुंदेलखंड का प्रमुख शक्तिपीठ
रानगिर का हरसिद्धि माई मंदिर बुंदेलखंड का एक प्रमुख शक्तिपीठ है, जहां नवरात्रि के समय देशभर से भक्त माता के दर्शन करने आते हैं. यह स्थान देवी की अनोखी और रहस्यमयी महिमा के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है.
FIRST PUBLISHED : October 9, 2024, 11:29 IST







