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राजस्थान में होलिका दहन पर निभाई जाती है खास परंपरा, दूल्हा-दुल्हन की तरह सजते हैं बच्चे, बड़े करते हैं ये कामना

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Udaipur Rajasthan Holi Special Dhundh Tradition: होली के त्योहार पर हर घर में खुशियों की धूम रहती है, लेकिन राजस्थान के जालौर में होली से जुड़ी एक खास परंपरा निभाई जाती है, जिसे ढूंढ उत्सव कहते हैं. इस दिन बच्च…और पढ़ें

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ढूंढ उत्सव को लेकर बाजारों में बढ़ी पारंपरिक पोशाको की मांग 

हाइलाइट्स

  • जालौर में होली पर ढूंढ उत्सव मनाया जाता है.
  • बच्चों को दूल्हा-दुल्हन की तरह सजाया जाता है.
  • बच्चों की सुख-समृद्धि के लिए विशेष पूजा होती है.

जालोर. राजस्थान में परंपराओं और त्योहारों का गहरा संबंध है, जहां हर उत्सव किसी विशेष मान्यता और आस्था से जुड़ा होता है. होली के मौके पर विशेष रूप से जालौर जिले में मनाया जाने वाला ढूंढ उत्सव एक अनूठी परंपरा है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है. इस परंपरा के तहत, परिवार में नवजात या छोटे बच्चों की पहली होली को शादी की तरह धूमधाम से मनाया जाता है.

ढूंढ उत्सव में बच्चों को उनके मामा या काका अपनी गोद में उठाकर होलिका दहन के समय पवित्र अग्नि की परिक्रमा करवाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चों को बुरी नजर से बचाया जाता है और वे स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन व्यतीत करते हैं. इस अवसर पर पूरे परिवार में उत्साह का माहौल होता है, और यह आयोजन किसी विवाह समारोह से कम नहीं लगता है.

शाही पोशाकों की रहती है डिमांड

ढूंढ उत्सव में बच्चों को पारंपरिक पोशाक में तैयार किया जाता है. छोटे लड़कों को दूल्हे की तरह शेरवानी, साफा, मोजड़ी और मालाएं पहनाई जाती हैं, जबकि लड़कियों को सुंदर लहंगा-चुन्नी या फ्रॉक में दुल्हन की तरह सजाया जाता है. जालौर के बाजारों में इस खास मौके के लिए पारंपरिक वेशभूषा की विशेष मांग होती है. दुकानदार योगेश कुमार ने लोकोल 18 को बताया कि, यहां शेरवानी 200 रूपए से लेकर 2000 रूपए तक उपलब्ध होती है. साथ ही पैर में पहनने के लिए जूतियां, रंग-बिरंगे साफे और सुंदर मालाएं भी बाजार में मिल रही है. दूल्हा-दुल्हनों के लिए खास तौर पर डिजाइन की गई पोशाकें, मोजड़ियां और आभूषण लोगों को बहुत पसंद आ रहे हैं. इस मौके पर खिलौनों की भी भारी बिक्री होती है, और जालौर के आसपास के गांवों से लोग इन्हें खरीदने के लिए बाजारों में पहुंचते हैं.

बच्चों की सुख-समृद्धि के लिए होती है विशेष पूजा

ढूंढ उत्सव के दौरान बच्चों की खुशहाली और लंबी उम्र के लिए विशेष पूजा-अर्चना भी की जाती है. होलिका दहन के बाद अग्नि की सात परिक्रमा पूरी करवाई जाती है, और फिर परिवार के बड़े-बुजुर्ग बच्चों को आशीर्वाद देते हैं. कहा जाता है कि इससे बच्चे के जीवन में आने वाली नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं, और वे स्वस्थ रहते हैं.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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