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रामायण काल से जुड़ी है गुमला के इस गांव की कहानी , पहाड़ में आज भी देवी देवताओं के पद चिन्ह के निशान साक्ष्य के रूप में है मौजूद 



गुमला जिला, झारखंड, अपने धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है. इस जिले के पालकोट प्रखंड स्थित देवगांव, जिसे देवगांव मंदिर और श्रीश्री 1008 श्री बूढ़ा महादेव मंडाधाम के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी जगह है, जो न केवल धार्मिक श्रद्धा का केन्द्र है, बल्कि प्राचीन समय से जुड़ी कई ऐतिहासिक घटनाओं और मिथकों का भी साक्षी है.

गुफाओं में देवी देवता की प्रतिमा मौजूद
देवगांव का यह मंदिर और गुफा, चारों ओर घने जंगलों और विशाल चट्टानों से घिरा हुआ है, जो इसे एक अद्वितीय और रहस्यमय स्थल बनाता है. स्थानीय पुजारियों के अनुसार, इस गुफा की रचना स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने की थी, जिन्होंने अपनी अद्वितीय कला से इसे सजाया और संवारा. यहां की गुफाओं में कई देवी देवताओं की प्रतिमाएं और प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जिनमें भगवान गणेश, बजरंगबली, नंदी बाबा, भोलेनाथ, नाग देवता, देवी महारानी, भगवती मुन्नी माता, सूर्य देवता, शिव शक्ति, गौ गंगा माता और मां दशभुजी महारानी जैसी प्रसिद्ध देवताओं की मूर्तियां हैं.

देवों के देव महादेव के नाम से भी जानते हैं लोग
गुमला के देवगांव को लोग देवों के देव महादेव के नाम से भी जानते हैं. यहां के पुजारी डमरू बाबा बताते हैं कि यह स्थल रामायण काल से जुड़ा हुआ है. किंवदंती के अनुसार, जब रावण ने माता सीता का हरण किया था, तो प्रभु श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण ने वनवास के दौरान इस क्षेत्र में प्रवेश किया था. यहां से वे रामरेखा धाम की ओर गए थे, और इस दौरान श्रीराम के पदचिह्न देवगांव के पहाड़ों पर पड़े थे, जो आज भी साक्ष्य के रूप में मौजूद हैं.

देवगांव की गुफा में ये पदचिह्न और देवी देवताओं के अन्य निशान समय के साथ अब भी दिखाई देते हैं, जो इस स्थान के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को प्रमाणित करते हैं. मान्यता है कि यहां स्थित तालाब में मनी जलता हुआ प्रतीत होता है, और नागमाता यहां परिक्रमा करती हैं. यह स्थल न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इतिहास के पन्नों में बसी कई महत्वपूर्ण घटनाओं का भी गवाह है.

कैसे पहुंचे देवगांव:
यदि आप गुमला के निवासी हैं या यहां के आसपास के क्षेत्र से देवगांव जाना चाहते हैं, तो आपको गुमला जिले के पालकोट प्रखंड में पहुंचना होगा. इसके बाद, पालकोट से पोजेंगा होते हुए देवगांव के लिए 7 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी. यह यात्रा सिंगल रास्ते पर है, और यहां जाने के लिए निजी वाहन या ऑटो सुविधाजनक विकल्प हो सकते हैं. देवगांव जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर स्थित है और इसके आसपास का वातावरण बेहद सुंदर और प्राकृतिक है.

प्राचीन मंदिर और धार्मिक महत्व:
देवगांव के मंदिर में कई देवी देवताओं की मूर्तियां हैं, जो भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित मानी जाती हैं. यह स्थल रामायण और महाभारत काल से जुड़ा हुआ है, और यहां कई अन्य धार्मिक स्थान जैसे नागवंशी राजाओं की कुल देवी मां दशभुजी भी स्थापित हैं. इसके अलावा, गुफा में स्थित तालाब के पानी में ऐसा लगता है मानो मनी जल रहा हो, जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक रहस्यमय और धार्मिक अनुभव प्रदान करता है.

देवगांव का यह स्थल न केवल धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आज भी लोगों की आस्था और श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है. यहां के प्राचीन मंदिर, देवी देवताओं के पदचिह्न, और रामायण काल से जुड़ी मान्यताएं इस स्थल को एक ऐतिहासिक धरोहर बनाती हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर के रूप में विरासत के तौर पर संरक्षित रहेगी.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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