राम और रावण के बीच भीषण युद्ध चला. आखिर युद्ध के दसवें दिन राम ने जब रावण की नाभि में ब्रह्रास्त्र का प्रयोग किया तो रावण जमीन पर गिर पड़ा. उसकी जान निकलने में कुछ समय लगा. उसने जब प्राण छोड़ा तो तीन बार राम का नाम लिया. जीवनभर राम को धिक्कारने और ललकारने वाले रावण ने आखिर ये काम क्यों किया. जब रावण की मृत्यु हो गई तो उसके छोटे भाई विभीषण ने आखिर क्यों उसका दाह संस्कार करने से मना कर दिया.
राम जब अपनी विशाल वानर सेना लेकर लंका पहुंचे तो रावण की सेना के साथ भीषण युद्ध हुआ. रावण की सेना के सारे वीर एक एक करके मारे गए. आखिर में रावण जब युद्ध में उतरा तो उसे मारना कठिन था लेकिन दसवें दिन राम ने ब्रह्रास्त्र का इस्तेमाल उसकी अमृत लगी नाभि पर किया तो इस प्रहार को वह संभाल नहीं पाया. सीधे जमीन पर आ गिरा. उसने समझ लिया कि उसका आखिरी समय आ गया है.
हालांकि जमीन पर गिरने के बाद उसने धीरे धीरे प्राण छोड़े. अब सवाल था कि मृत्यु के बाद कौन रावण का दाह संस्कार करेगा, जो जरूरी भी था. तब वहां जीवित भाई के रूप में विभीषण ही बचे थे, जो राम के पक्ष में आ गए थे. राम की ओर से उन्होंने अपने भाई के खिलाफ युद्ध लड़ा था. विभीषण धार्मिक किस्म के व्यक्ति थे. बड़े भाई को पहले तो उन्होंने समझाने की कोशिश की लेकिन रावण ने जब विभीषण को ही अपमानित करके भगा दिया तो वह राम के पास चले गए.

रावण युद्ध के दसवें दिन राम के हाथों तब मारा गया जब राम ने अपने तीर पर ब्रह्मास्त्र चढ़ाया और अमृत से भरी उसकी नाभि पर निशाना साधा. (Bharat.one AI)
क्यों विभीषण ने किया दाह संस्कार से इनकार
रावण के मृत्यु के बाद जब भगवान राम ने विभीषण से उसका दाह संस्कार करने के लिए कहा तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया. उनके पास ऐसा करने का ये तर्क था कि उसका बड़ा भाई रावण पापी था. लिहाजा वह ऐसा नहीं कर सकता. तब राम को विभीषण समझाना पड़ा कि मृत्यु के साथ ही उस पार्थिव शरीर के पाप भी खत्म हो जाते हैं, लिहाजा अंतिम संस्कार करने में कोई बुराई नहीं. तब विभीषण ने ये बात मान ली. सम्मानपूर्वक रावण का अंतिम संस्कार किया गया.
रावण की पत्नी ने क्या किया
बाद में रावण की प्रमुख पत्नी मंदोदरी ने विधवा जीवन बिताने के बजाय विभीषण से विवाह कर लिया. राम की सलाह पर मंदोदरी और विभीषण ने लंका का शासन संभाला. हालांकि कुछ मान्यताएं ये भी कहती हैं कि मंदोदरी ने आध्यात्मिक जीवन अपनाया.
और क्या कहा जाता है
हालांकि एक मान्यता और भी है. उसमें ये कहा जाता है कि विभीषण ने दाह-संस्कार नहीं किया. तब रावण का शव नागकुल के लोगों ने ममी बनाकर सुरक्षित रखा. कहा जाता है कि श्रीलंका के रैगला के जंगल में एक गुफा में रावण का शव 18 फीट लंबे ताबूत में रखा गया है, जिसके नीचे उसका खजाना भी है.
क्यों मरते समय तीन बार राम का नाम लिया
रावण भगवान शिव का महान भक्त था. उसने शिव को प्रसन्न करने के लिए कई बार अपने सिर काटकर अर्पित किया. लेकिन उसकी भक्ति का तरीका शास्त्रों के अनुसार सही नहीं था, इसलिए उसे इस भक्ति से मोक्ष नहीं मिलता और उसे नरक में डाल दिया जाता. ये बात रावण भी जानता था. उसके खाते में पाप बहुत ज्यादा थे. वह अहंकार में डूबा रहता था.
इसी वजह से विद्वान रावण ने मरते समय तीन बार राम का नाम लिया ताकि उसे पापों से मुक्ति मिल सके. राम नाम का स्मरण मोक्ष का कारण माना जाता है, क्योंकि ये पापों को नष्ट करता है. आत्मा को मुक्त करता है. इसी वजह से रावण की आत्मा को मृत्यु के बाद मोक्ष मिला. बेशक उसके जीवन के अन्य कर्म बुरे थे.
लक्ष्मण से कहीं कौन सी तीन बड़ी बातें
रावण ने मरते समय लक्ष्मण को जीवन के तीन बड़े उपदेश भी दिए. रावण ने मरते समय राम के छोटे भाई लक्ष्मण को जीवन के तीन बड़े रहस्य बताए.
1. अच्छे काम जितनी जल्दी हो, पूरा कर डालिए. क्योंकि जीवन अनिश्चित है. देरी से अक्सर अच्छे अवसर छूट जाते हैं
2. छोटे से छोटा रोग भी जानलेवा हो सकता है. कमजोर दिखने वाला शत्रु भी खतरनाक हो सकता है. रावण ने राम और उनकी सेना को कम आंका,जो उसकी हार का कारण बना.
3. जीवन से जुड़े रहस्यों को किसी से भी साझा न करें, चाहे वह कितना भी प्रिय क्यों न हो. रावण के नाभि में छिपा अमृत कुंड का रहस्य उसके भाई विभीषण को पता था, जिससे रावण की हार हुई.