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Sundarkand Path: कलयुग में हनुमान जी को जागृत देवता माना जाता है. माना जाता है कि रोजाना सुंदरकांड का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं. ऐसे में सुंदरकांड की कुछ चौपाई का खास महत्व है. आइए जानते हैं.
दरअसल रामचरितमानस में कई कांड हैं, जिसमें से एक सुंदर कांड भी है, जहां हनुमान जी की महिमा का वर्णन किया गया है. सुंदरकांड में कई चौपाई हैं, जो अपने आप में बेहद चमत्कारी मानी जाती हैं. ऐसी ही एक चौपाई है ‘उमा न कछु कपि कै अधिकाई, प्रभु प्रताप जो कालहि खाई, गिरि पर चढि लंका तेहिं देखी, कहि न जाइ अति दुर्ग बिसेषी, अति उतंग जलनिधि चहु पासा, कनक कोट कर परम प्रकासा’… इस चौपाई में हनुमान जी महाराज की लंका यात्रा का वर्णन किया गया है. जिसमें हनुमान जी महाराज लंका की सुंदरता और मजबूती का अनुभव कर रहे हैं. इस चौपाई के बारे में विस्तार से शशिकांत दास बताते हैं.
गिरि पर चढि लंका तेहिं देखी, कहि न जाइ अति दुर्ग बिसेषी…अर्थात हनुमान जी महाराज जब लंका के पर्वत पर चढ़कर लंका को देखते हैं लंका का किला बहुत मजबूत और सुरक्षित था जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता.
शशिकांत दास बताते हैं कि सुंदरकांड की इस चौपाई में हनुमान जी महाराज की लंका यात्रा को बताया गया है. इस चौपाई में हनुमान जी महाराज की शक्तियों का वर्णन किया गया है. प्रभु राम के प्रति हनुमान जी महाराज की भक्ति बताया गया है. जिसका अनुसरण करने से व्यक्ति को सभी तरह के डर और भय से मुक्ति मिलती है.