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Chaitri Durga temple Godda: गोड्डा के चिहारी पहाड़ स्थित चैत्री दुर्गा मंदिर पुत्र रत्न की मनोकामना के लिए प्रसिद्ध है. जानिए नवरात्रि में क्यों उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़.
गोड्डा
हाइलाइट्स
- गोड्डा का चैत्री दुर्गा मंदिर पुत्र रत्न की मनोकामना के लिए प्रसिद्ध है.
- नवरात्रि में मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.
- मंदिर में भागवत कथा और जागरण का आयोजन होता है.
गोड्डा: झारखंड के गोड्डा जिले के पथरगामा प्रखंड में स्थित चिहारी पहाड़ का चैत्री दुर्गा मंदिर, एक ऐसा स्थान है जहां आस्था और चमत्कार की कहानियां एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हैं. पहाड़ों के बीच, प्रकृति की गोद में बसा यह मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि उन हजारों दिलों की आस है जो यहां सच्ची श्रद्धा से मां के दर्शन करने आते हैं.
करीब चार दशकों से लगातार पूजा-पाठ से सजी यह पावन धाम, विशेषकर पुत्र रत्न प्राप्ति की मान्यता के लिए प्रसिद्ध है. स्थानीय निवासी बलराम कुमार बताते हैं कि यहां कई परिवार ऐसे हैं जिन्होंने संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगी और मां दुर्गा ने उनकी झोली खुशियों से भर दी.
नवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर में सप्तमी और अष्टमी के दिन श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है. खासतौर पर अष्टमी को 8 से 10 हजार महिलाएं डलिया चढ़ाकर अपनी मनोकामनाएं प्रकट करती हैं. यह दृश्य इतना भावुक और दिव्य होता है कि वहां मौजूद हर व्यक्ति एक अलौकिक अनुभूति में डूब जाता है.
मंदिर परिसर में नवरात्र के पहले दिन से ही अयोध्या से आए संतों द्वारा भागवत कथा का आयोजन शुरू हो जाता है, जो पूरे 8 दिनों तक चलता है. नवमी की रात, भक्ति में डूबा जागरण श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है.
यह मंदिर न सिर्फ पुत्र रत्न, बल्कि नौकरी, मुकदमों में विजय और जीवन की कठिन राहों में सफलता दिलाने के लिए भी जाना जाता है. यहां का हर पत्थर, हर घंटी, हर दीपक एक कहानी कहता है—आस्था से चमत्कार तक की.