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प्रद्युम्न भगत ने नासा की लाखों की नौकरी छोड़कर BAPS में संन्यासी जीवन अपनाया और स्वामी केशवसंकल्पदास बने. उनका निर्णय सांसारिक सफलता से परे सच्ची संतुष्टि का प्रतीक है.
प्रद्युम्न भगत ने नासा की लाखों की नौकरी छोड़कर BAPS में संन्यासी जीवन अपनाया
हाइलाइट्स
- प्रद्युम्न भगत ने NASA की नौकरी छोड़ संन्यास लिया.
- अब वे स्वामी केशवसंकल्पदास के रूप में जीवन व्यतीत करेंगे.
- उनका निर्णय सच्ची संतुष्टि और निःस्वार्थ सेवा का प्रतीक है.
आजकल लोग जहां भौतिक सुख-सुविधा के लिए भागदौड़ और प्रतिस्पर्धा भरा जीवन व्यतीत कर रहे हैं. वहीं कुछ ऐसे लोग ऐसे हैं, जो हर तरह की सुख-सुविधा को त्यागकर अध्यात्म और भक्ति की तरफ जा चुके हैं और निस्वार्थ सनातन की सेवा में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं. जी हां ऐसा ही एक उदाहरण है प्रद्युम्न भगत.
प्रद्युम्न भगत ने नासा जैसी प्रतिष्ठित संस्था से लाखों के पैकज वाली नौकरी को छोड़कर ईश्वर की भक्ति करने का मन बना लिया है. इसके लिए वह BAPS (बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामिनारायण संस्था) के संन्यासी जीवन में प्रवेश कर चुके हैं. प्रद्युम्न भगत ने सभी सांसारिक बंधनों को त्यागकर अक्षर पुरुषोत्तम स्वामिनारायण संस्था से दीक्षा ग्रहण कर चुके हैं और अब वे स्वामी केशवसंकल्पदास के रूप में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

प्रद्युम्न भगत का जन्म ऑकलैंड, न्यूजीलैंड में हुआ था और उन्होंने इलेक्ट्रिकल एवं रोबोटिक्स इंजीनियरिंग में अटलांटा में उत्कृष्टता प्राप्त की. वह गोल्ड स्कॉलर मात्र 15 वर्ष की आयु में TEDx वक्ता और दो पेटेंट प्राप्त करने वाले एक नवप्रवर्तक थे. उन्होंने बोइंग के लिए अत्याधुनिक रोबोटिक्स पर कार्य किया और बोइंग और नासा जेपीएल से प्रतिष्ठित नौकरी के प्रस्ताव प्राप्त किए.
इन अभूतपूर्व उपलब्धियों के बावजूद भी प्रद्युम्न भगत ने एयरोस्पेस और प्रौद्योगिकी में एक उज्ज्वल भविष्य को छोड़कर एक और भी महान उद्देश्य को अपनाने का निर्णय लिया और बीएपीएस के संन्यासी जीवन में प्रवेश किया. उन्होंने सांसारिक बंधनों को त्यागकर स्वामिनारायण संप्रदाय में दीक्षा ग्रहण की और अब स्वामी केशवसंकल्पदास के रूप में जीवन व्यतीत करेंगे, जो लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.

प्रद्युम्न भगत का निर्णय हमें यह शक्ति प्रदान करता है कि सच्ची संतुष्टि सांसारिक सफलता से परे है. इस दुनिया में जहां आमतौर पर उपलब्धियों को धन और प्रतिष्ठा से जोड़ा जाता है, उन्होंने अपना जीवन बीएपीएस के आध्यात्मिकता, सेवा और नैतिक उत्थान के वैश्विक मिशन को समर्पित कर दिया. यह निर्णय निःस्वार्थता, भक्ति और विश्वास के उच्चतम मूल्यों का प्रतीक है. अब, स्वामी केशवसंकल्पदास इस दिव्य यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं, उनकी कहानी दुनिया भर में पीढ़ियों को आध्यात्मिकता, नम्रता और बीएपीएस के माध्यम से मानवता की निःस्वार्थ सेवा के लिए प्रेरित करेगी.
February 24, 2025, 18:47 IST
विज्ञान से अध्यात्म तक… सांसारिक सुखों को छोड़कर संन्यासी बना NASA का…







