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शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या ने कर दिया है परेशान? राहत पाने के 6 ज्योतिष उपाय करें फॉलो, दोष से मिलेगा छुटकारा


Sadhe sati Astro Tips: ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को न्याय के देवता और कर्मफल दाता कहा जाता है. वे मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं. शनि देव 9 ग्रहों में सबसे धीमी चाल चलने वाले ग्रह हैं. इसी कारण शनि देव 1 राशि में साढ़े सात साल तक विराजमान रहते हैं. इसी वजह से ही राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चलती है. शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान जातक कई प्रकार के कष्ट भोगता है. ऐसे में राहत पाना बेहद जरूरी हो जाता है. यदि आप भी शनि की साढ़े साती या ढैय्या से हैं परेशान तो कुछ ज्योतिष उपाय कारगर हो सकते हैं. इन उपायों के बारे में Bharat.one को बता रहे हैं उन्नाव के ज्योतिषाचार्य ऋषिकांत मिश्र शास्त्री-

शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से बचने के ज्योतिष उपाय

चीटियों को आटा खिलाएं: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, यदि आप पर भी शनि की साढ़े साती या ढैय्या चल रही है तो प्रत्येक शनिवार को काले तिल, आटा, शक्कर लेकर इन तीनों चीज़ों को मिला लें उसके बाद ये मिश्रण काली चींटियों को खिलाए.

घोड़ें नाल की अंगूठी पहनें: शनि से सम्बंधित बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए काले घोड़े की नाल या नाव की कील से अंगूठी बनाकर अपनी मध्यमा उंगली में शनिवार को सूर्यास्त के समय धारण करें. साथ ही, शनि देव की 10 नामों का कम से कम 108 बार जाप करें.

जरूरतमंदों को दान: दान पुण्य करने वाले लोगों से शनि देव प्रसन्न रहते हैं, इसलिए अपने सामर्थ्य के अनुसार काली तिल, काला कपड़ा, कंबल, उड़द की दाल का दान करें. हनुमान जी की पूजा करने से भी शनि दोष कम होंगे. ऐसे में बंदरों को गुड़ और चना खिलाएं.

मंत्रों का जाप करें: शनि देव की पूजा कर कि उन्हें नीले रंग की पुष्प अर्पित करें. इसके साथ ही शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का रूद्राक्ष की माला से जाप करें. मंत्रों के जप संख्या 108 होनी चाहिए. ऐसा प्रत्येक शनिवार करने से शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति प्राप्त होगी.

तेल दान: शनि की साढ़े साती या ढैया से मुक्ति पाने के लिए प्रातः काल उठकर स्नानआदि से निवृत्त होकर एक कटोरी में तेल लें, इसमें अपना चेहरा देखें और उसके बाद इस तेल को किसी ज़रूरत मंद व्यक्ति को दान दे दें, ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं.

पीपल पर दीया जलाएं: सुबह स्नान के बाद पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें और इसकी सात परिक्रमा करें. सूर्यास्त के बाद सुनसान स्थान पर लगे पीपल के पेड़ पर दीप जलाएं. यदि ऐसा नहीं कर पाते हैं. तो किसी मंदिर में लगे पीपल के पास दीपक प्रज्वलित कर सकते हैं.

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