अयोध्या: हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. इस दिन धार्मिक मान्यता के अनुसार चंद्रमा की रोशनी में खीर बना कर रखने की भी परंपरा है. ऐसा कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है. इस वजह से लोग पूर्णिमा की रात खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं. तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि कब है शरद पूर्णिमा और इस दिन क्यों खीर बनाई जाती है.
शरद पूर्णिमा के दिन पृथ्वी पर आती हैं मां लक्ष्मी
अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन शुक्ल पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर बुधवार की रात्रि 8:40 से शुरू हो रही है. यह तिथि 17 अक्टूबर को शाम 4:55 पर समाप्त होगी. ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा. ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती है. और घर-घर जाकर भ्रमण करती हैं. शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर आती हैं और लोगों की सभी मनोकामना को पूरा भी करती हैं.
चांदनी रात में छत पर खीर रखने की परंपरा
इसके अलावा कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं में होता है. इस रात चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत के समान मानी जाती है. इस रात चंद्रमा अपनी कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता पोशाक शक्ति और शांतिरूपी अमृत वर्षा भी करता है. इस वजह से लोग शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर अपने घरों की छत पर रखते हैं. इतना ही नहीं धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को भगवान श्री कृष्ण ने महाराज किया था. भगवान श्री कृष्ण ने बंसी बजाकर गोपियों को अपने पास बुलाया और ईश्वरीय अमृत का पान कराया था. इस वजह से शरद पूर्णिमा की रात का विशेष महत्व भी होता है.
FIRST PUBLISHED : October 15, 2024, 12:08 IST
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