भगवान गणेश को हर काम की शुरुआत से पहले पूजा जाता है. क्योंकि वे बुद्धि के दाता और रिद्धि-सिद्धि के स्वामी माने जाते हैं. लेकिन आज हम आपको भगवान गणेश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां कुंवारी कन्याओं को उनका मनचाहा वर पाने के लिए एक विशेष वचन का पालन करना होता है.
यह मंदिर मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के पोहरी तहसील में स्थित है, जो लगभग 200 साल से अधिक पुराना है. यहां स्थित गणेश मंदिर को “इच्छापूर्ति गणेश” के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में भगवान गणेश को श्रीजी के नाम से भी पुकारा जाता है.
मंदिर की विशेषता
शिवपुरी के पोहरी में यह मंदिर एक ऐतिहासिक किले के अंदर स्थित है, जो कभी सिंधिया स्टेट के अधीन था। मंदिर का निर्माण 1737 में बाला बाई सीतोले नामक जागीरदारनी ने किया था. इस मंदिर में स्थापित गणेशजी की मूर्ति को पुणे से विशेष रूप से लाया गया था. यह मूर्ति इस तरह से स्थापित की गई है कि बाला बाई सीतोले को अपनी खिड़की से गणेशजी के दर्शन होते थे. इस मंदिर को विशेष रूप से इच्छापूर्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति के स्थान के रूप में जाना जाता है.
कुंवारी कन्याओं की विशेष पूजा
इस मंदिर में आने वाली हर कुंवारी कन्या अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान गणेश से प्रार्थना करती है. वे अपने मनचाहे वर की कामना करने के लिए आती हैं. एक विशेष परंपरा के तहत, कन्याएं भगवान गणेश के सामने खड़ी होकर अपने मनचाहे वर के गुणों का बखान करती हैं. फिर प्रार्थना करती हैं कि भगवान उन्हें वही वर दे। माना जाता है कि यदि वे पूरी श्रद्धा से यह प्रार्थना करती हैं, तो उनकी इच्छा जरूर पूरी होती है
श्रद्धालुओं की बातें
इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां की पूजा से उनकी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं. एक श्रद्धालु, आशीष पांडेय, कहते हैं कि मैंने यहां अपनी इच्छा जाहिर की थी, और भगवान गणेश ने मेरी प्रार्थना सुनकर मेरी मुराद पूरी की. वहीं, कु.गौरी शर्मा ने बताया कि यहां आकर मुझे जो मानसिक शांति मिलती है, वह कहीं और नहीं मिलती। भगवान गणेश की कृपा से मेरा जीवन सुखी हो गया है. कई श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में दर्शन करने से उनकी छिपी हुई इच्छाएं स्वतः ही सामने आ जाती हैं और फिर भगवान गणेश उनकी पूर्ति करते हैं.
कुंवारी कन्याओं के लिए विशेष पूजा
मंदिर में एक और दिलचस्प परंपरा है—कुंवारी कन्याएं यहां श्रीफल अर्पित करती हैं. यह माना जाता है कि इस अर्पण से उनके हृदय में छिपी वर की इच्छा पूरी होती है. यह परंपरा आज भी जीवित है. इसके कारण यहां आने वाली श्रद्धालुओं की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.
आस्था का तांता
ग्रामीण इलाका होने के बावजूद, इस मंदिर में देशभर से लोग आते हैं. विदेशों से भी श्रद्धालु यहां भगवान गणेश की पूजा करने के लिए आते हैं. क्योंकि यहां की प्रसिद्धि समय के साथ और भी बढ़ गई है.
कुल मिलाकर
क्या यह सच है कि इस मंदिर में आने से कुंवारी कन्याओं की मुरादें पूरी होती हैं? या फिर यह सिर्फ एक सांस्कृतिक विश्वास है? जो भी हो, लेकिन मंदिर की आस्था और श्रद्धा में कोई कमी नहीं है. भगवान गणेश की कृपा से इच्छाएं पूरी होती हैं, यह मान्यता आज भी भक्तों में प्रचलित है.







