पलामू: झारखंड के पलामू जिले के उंटारी प्रखंड में स्थित शिव संपत धाम, भक्ति और आस्था का एक ऐसा पवित्र स्थल है, जिसकी स्थापना भगवान भोलेनाथ की एक अद्भुत कथा से जुड़ी है. पिछले 40 वर्षों से यहां मकर संक्रांति के अवसर पर मेले का आयोजन किया जा रहा है. इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन में हर साल हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं, जो पूजा-अर्चना के साथ मेले का आनंद भी लेते हैं.
चरवाहा के सपने से शुरू हुई शिव संपत धाम की कहानी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस धाम का निर्माण भगवान शिव के चमत्कारिक संकेत के बाद हुआ. स्थानीय पुजारी नारायण मिश्रा के अनुसार, इस स्थल की कहानी एक चरवाहा संपत से जुड़ी है. संपत नाम के एक साधारण चरवाहे को भगवान शिव ने स्वप्न में दर्शन देकर इस स्थान पर अपनी उपस्थिति का संकेत दिया. उन्होंने कहा कि इस भूमि के नीचे शिव परिवार मौजूद हैं. चरवाहा ने अपने सपने की बात गांववालों को बताई, जिसके बाद खुदाई की गई. इस प्रक्रिया में शिव परिवार की मूर्तियां प्रकट हुईं. इसके बाद इस स्थान को “शिव संपत धाम” नाम दिया गया और यहां पूजा-अर्चना शुरू हुई.
मकर संक्रांति मेले की परंपरा
शिव संपत धाम में हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर एक दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है. यह मेला पिछले 40 वर्षों से आयोजित किया जा रहा है. इस पावन अवसर पर भगवान भोलेनाथ को गुड़, चूरा और दही का भोग अर्पित किया जाता है. श्रद्धालु पूरे भक्ति भाव से भगवान शिव की पूजा करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं.
मेले का आकर्षण
मकर संक्रांति मेला न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. बच्चों और युवाओं के मनोरंजन के लिए झूले और खेल के स्टॉल लगाए जाते हैं. मेले में खिलौनों, खाने-पीने की चीजों और अन्य आकर्षक वस्तुओं की कई दुकानें सजती हैं. यह मेला श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के लिए एक उत्सव की तरह होता है, जिसमें भक्ति और आनंद का संगम देखने को मिलता है.
शिवरात्रि के अवसर पर दूसरा मेला
मकर संक्रांति के अलावा, शिव संपत धाम में शिवरात्रि के अवसर पर भी एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. इस दिन भक्तगण विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए यहां आते हैं.
संपूर्ण झारखंड में प्रसिद्ध है शिव संपत धाम
शिव संपत धाम, न केवल पलामू जिले में बल्कि पूरे झारखंड में आस्था और भक्ति का केंद्र बन गया है. हर साल यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है. धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण यह धाम झारखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों में अपनी पहचान बना चुका है.
आस्था और आनंद का संगम
यह मेला न केवल धार्मिक महत्व का है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अहम है. यहां पूजा-अर्चना करने के बाद श्रद्धालु मेले का आनंद लेते हैं, जिससे उन्हें भक्ति और मनोरंजन का अद्वितीय अनुभव मिलता है.
FIRST PUBLISHED : January 6, 2025, 11:58 IST
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