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संतान सुख से वंचित हैं तो जरूर करें ये व्रत, नए साल में भर जाएगी सूनी गोद, उज्जैन के आचार्य से जानें तिथि और महत्व


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Ujjain News: एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि के बाद उपवास का संकल्प लें. पूजा के दौरान भगवान विष्णु को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाना चाहिए क्योंकि पीला रंग भगवान नारायण को अति प्रिय है.

उज्जैन. हिंदू धर्म में प्रत्येक तिथि और व्रत का अपना विशेष धार्मिक महत्व माना गया है. पूरे साल में कुल 24 एकादशी व्रत आते हैं, जो हर माह दो बार एक कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष में रखे जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यता है कि इस पावन तिथि पर किया गया व्रत मनोकामनाओं की पूर्ति के साथ-साथ जीवन में सुख-समृद्धि और शुभ फल प्रदान करता है. खासतौर पर यह व्रत अनेक प्रकार के लाभ देने वाला माना जाता है. तो आइए, उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद भारद्वाज से जानते हैं पुत्रदा एकादशी का महत्व, पूजा विधि और इससे मिलने वाले विशेष लाभ क्या है.

कब मनाई जाएगी पुत्रदा एकादशी?
ज्योतिषाचार्य Bharat.one को बताते हैं कि वैदिक पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी इस बार 30 दिसंबर 2025 को सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन अगले दिन 31 दिसंबर की सुबह पांच बजे होगा, इसलिए 30 दिसंबर को पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी. इस दिन भरणी नक्षत्र और सिद्ध का विशेष संयोग बना रहेगा.

कैसे हुई इस व्रत की शुरुआत?
पंडित आनंद भारद्वाज ने आगे बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार महिष्मति राज्य के राजा महीजित को कोई संतान नहीं थी. वह बड़े ही पुण्य का काम करते थे. संतान न होने से नाराज राजा ने अपनी प्रजा और ब्राह्मणों की एक बैठक बुलाई. ब्राह्मण और प्रजा दोनों ने इस समस्या से निजात के लिए तप शुरू किया. इस दौरान उन्हें लोमस ऋषि मिले, जिन्होंने इस समस्या के लिए एकादशी तिथि को व्रत रखने की बात कही. जिसके बाद राजा, प्रजा और ब्राह्मणों ने इस व्रत को रखा. जिसके प्रभाव से राजा महीजित को संतान की प्राप्ति हुई. जो लोग संतान सुख से वंचित हैं, वे यह व्रत जरूर रखें.

एकादशी व्रत के दिन क्या करें?
एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि के बाद व्रत संकल्प लें. पूजा के दौरान भगवान विष्णु को पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए क्योंकि पीला रंग भगवान श्रीहरि को प्रिय माना जाता है. भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा करें. इस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना भी शुभ माना जाता है.

नहीं करना चाहिए चावल का सेवन
एकादशी व्रत के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए. एकादशी का व्रत नहीं रखने वालों को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. एकादशी व्रत के दिन बाल, नाखून और दाढ़ी कटवाने की भूल न करें. व्रत के दिन ब्राह्मणों को कुछ दान अवश्य करना चाहिए. एकादशी व्रत के पारण करने के बाद अन्न का दान करना शुभ माना गया है.

जरूर करें इस मंत्र का जाप
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।

About the Author

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Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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संतान की कामना पूरी करने वाला व्रत, जानें तारीख-महत्व और चमत्कारी मंत्र

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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