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ज्योतिषी अखिलेश पांडेय ने कहा कि पौष पुत्रदा एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष में आती है और यह व्रत संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की विशेष पूजा का विधान है. भक्त सुबह-सुबह पवित्र स्नान करके व्रत का संकल्प लेते हैं

पौष पुत्रदा एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष में आती है और यह व्रत संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की विशेष पूजा का विधान है. भक्त सुबह-सुबह पवित्र स्नान करके व्रत का संकल्प लेते हैं और पूरे दिन नियम, संयम तथा भक्ति के साथ पूजा करते हैं.

इस पावन दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है. मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से संतान से जुड़े कष्ट दूर होते हैं और दांपत्य जीवन में मधुरता आती है. भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करने से भक्त की मनोकामनाएं पूरी होने का मार्ग प्रशस्त होता है. इससे जीवन में सकारात्मकता भी बढ़ती है.

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन शिवलिंग पर विशेष वस्तुएं चढ़ाने का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन शिवलिंग पर जल, गंगाजल, कच्चा दूध और शहद से अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. ऐसा माना जाता है कि शिव कृपा से मनुष्य के जीवन में आ रहे अवरोध दूर होते हैं और परिवार पर शुभ ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है. भक्त श्रद्धापूर्वक अभिषेक करके सुख और संतति की प्रार्थना करते हैं.
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इस व्रत के दौरान शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि यह देवों के देव महादेव का प्रिय है. इसके साथ सफेद पुष्प अर्पित करने से मानसिक शांति मिलती है और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है. पुराणों में उल्लेख है कि जो भक्त पूर्ण निष्ठा से बेलपत्र अर्पित करता है, उसके जीवन में सुख और सौभाग्य का प्रवेश होता है. यह पूजा विधि शुभ फल प्रदान करती है.

जो दंपत्ति संतान प्राप्ति की मनोकामना रखते हैं, उनके लिए पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत अत्यंत फलदायी माना गया है. इस दिन शिव और विष्णु दोनों की आराधना करने से संतान से जुड़े कष्ट दूर होते हैं और शुभ संकेत प्राप्त होते हैं. भक्ति भाव से व्रत करने पर दंपत्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं. मान्यता है कि यह दिन संतान से जुड़ी हर चिंता दूर करता है

इस एकादशी के दिन व्रत रखने का अपना विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. भक्त इस दिन अनाज त्यागकर फलाहार करते हैं और पूरे दिन भगवान का स्मरण करते हैं. व्रत का उद्देश्य मन और शरीर दोनों को शुद्ध करना होता है. इससे मन में अनुशासन बढ़ता है और व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनता है. शाम के समय विष्णु भगवान की कथा सुनना अत्यंत शुभ माना गया है.

पौष पुत्रदा एकादशी पर की गई पूजा का प्रभाव केवल संतान सुख तक सीमित नहीं रहता बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा लाती है. इस दिन किए गए दान, जप और उपवास से मन की नकारात्मकता कम होती है और आत्मविश्वास बढ़ता है. भक्त का मन शांत होता है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है. यह दिन परिवार में सौभाग्य का आगमन करवाता है.






