अजमेर:- राजस्थान के अजमेर में चल रहे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स के मौक पर खुले जन्नती दरवाजे से जियारत करने का सिलसिला जारी है. हजारों की संख्या में जायरीन रोजाना इस दरवाजे से निकल रहे हैं. लेकिन अब यह दरवाजा मंगलवार को कुल की रस्म के साथ ही बंद हो जाएगा. दरगाह के गद्दी नशीन अफशान चिश्ती ने बताया कि परंपरा के अनुसार, 1 जनवरी को चांद रात के दिन यह दरवाजा जियारत के लिए खोल दिया गया था. तब से ही इस रास्ते से जियारत के लिए आस्ताना शरीफ जाने का सिलसिला बना हुआ है.
दरवाजे से निकलना मानते हैं खुशनसीबी
चिश्ती ने Bharat.one को बताया कि जन्नती दरवाजे से निकलना केवल आम जायरीन ही नहीं, वीआईपी मेहमान भी खुशनसीबी मानते हैं. देश-विदेश से आने वाले जायरीन अपने-अपने सिर पर चादर फूलों की टोकरी लिए इस दरवाजे से निकलते हैं.
साल में चार बार खुलता है दरवाजा
चिश्ती ने आगे बताया कि परंपरा के अनुसार, दरगाह में स्थित जन्नती दरवाजा साल में 4 बार खुलता है. सबसे अधिक 6 दिन के लिए गरीब नवाज के उर्स के मौके पर दरवाजा खुलता है. इसके बाद एक दिन ईद उल फितर ( मीठी ईद ) के मौके पर, एक दिन ईद उल अजहा (बकरा ईद) के मौके पर और एक दिन ख्वाजा साहब के पीर (गुरु ) हजरत उस्मान हारूनी के सालाना उर्स के मौके पर यह दरवाजा खुलता है.
यह है मान्यता
अफशान चिश्ती ने Bharat.one को बताया कि मान्यता है कि जन्नती दरवाजे से जो कोई जायरीन ख्वाजा गरीब नवाज की मजार की जियारत करता है, उसे करने के बाद जन्नत नसीब होती है. ख्वाजा गरीब नवाज में गहरी आस्था रखने वाले जायरीन जन्नती दरवाजे के खुलने का बेसब्री से इंतजार करते हैं. खासकर उर्स के दौरान दरगाह आने वाले हर जायरीन की दिली हसरत होती है कि वह जन्नती दरवाजे से होकर दरगाह में हाजिरी दे.
FIRST PUBLISHED : January 6, 2025, 11:04 IST
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