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Temple of Kinnar: किन्नर समाज बोचार माता मंदिर को आस्था का केंद्र मानता है. मान्यता है कि बोचार माता इस समाज की रक्षक और मार्गदर्शक देवी हैं. जब कोई किन्नर गुरु पद स्वीकार करता है, तो सबसे पहले वह मंदिर आकर माता का आशीर्वाद लेता है.
खंडवा. भारत विविधताओं का देश है. यहां हर परंपरा, हर मान्यता अपने भीतर कोई अनूठा रहस्य समेटे होती है. आज हम आपको लेकर चलेंगे एक ऐसे मंदिर में लेकर, जहां देवी की पूजा सिर्फ किन्नर समुदाय द्वारा की जाती है. इस अनोखी परंपरा से जुड़ी कहानियां और रीतियों को जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. गुजरात के अहमदाबाद में बोचार माता का मंदिर स्थित है. यह कोई साधारण मंदिर नहीं है. यहां की पूजा-पद्धति, रीति-रिवाज और परंपराएं बिल्कुल अलग हैं. इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पूजा करने का अधिकार सिर्फ किन्नर समुदाय को है.
Bharat.one से बात करते हुए खंडवा की किन्नर गुरु सितारा मौसी बताती हैं कि बोचार माता हमारी माता हैं. जब कोई किन्नर जन्म लेता है, तो हम मानते हैं कि माता ने उसे खुद चुना है. हमारी हर पूजा, हर संस्कार में सबसे पहले बोचार माता का नाम लिया जाता है. यह परंपरा सदियों पुरानी है. बोचार माता के मंदिर में साल में एक बार विशेष पूजा होती है, जिसे केवल किन्नर ही कर सकते हैं. इस अवसर पर देशभर से किन्नर यहां इकट्ठा होते हैं. पूजा में नाच-गान, मंत्रोच्चार और विशेष अनुष्ठानों द्वारा माता को प्रसन्न किया जाता है. यह पूजा केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक एकता और पहचान का प्रतीक भी है.
नई पहचान और अपनापन
किन्नर अक्सर समाज से अलग-थलग रहते हैं. वे मंदिर आकर एक नई पहचान और अपनापन महसूस करते हैं. कई लोगों ने देखा है कि किन्नर बड़ी श्रद्धा से माता की सेवा करते हैं. उनकी भक्ति में सच्चाई है. यहां आने के बाद महसूस होता है कि भक्ति में कोई भेद नहीं होता. किन्नर समाज के लोग बताते हैं कि मंदिर का वातावरण पूरी तरह भक्तिमय होता है. मान्यता है कि बोचार माता से सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. यही वजह है कि अब आम लोग भी इस मंदिर में आकर माता के दर्शन करते हैं लेकिन पूजा का विशेषाधिकार आज भी केवल किन्नरों को ही है.
समाज को संदेश देता मंदिर
बोचार माता का यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि यह समाज को यह संदेश भी देता है कि हर किसी की भक्ति समान होती है, चाहें वो किसी भी लिंग, जाति या वर्ग का क्यों न हो. किन्नरों की यह अनोखी परंपरा हमें सिखाती है कि सच्ची श्रद्धा समाज की रूढ़िवादी परंपराओं से परे होती है.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.