Giriraj Temple Govardhan: भगवान योगीराज श्री कृष्ण ने ब्रज में अनेकों लीलाएं की. प्रभु के मंदिरों में दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. मथुरा की गलियों में एक ऐसा मंदिर भी है जहां प्रसाद में दूध को भोग लगाया जाता है. ऐसा होता है गोवर्धन के गिरिराज मंदिर में. आइए जानते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी.
इस मंदिर में लगता है दूध और पेड़े का भोग
द्वापर काल में भगवान ने इंद्र का मानमर्दन करते हुए उनकी पूजा को बंद करा दिया और पर्वत की पूजा को शुरू कराया था. इंद्र ने गुस्से में आकर बृज में घनघोर वर्षा की. इंद्र के प्रकोप से बचने के लिए ब्रजवासियों ने कृष्ण की शरण ली. यशोदा नंदन ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया. गोवर्धन के गिरिराज मंदिर के सेवायत पुजारी रामबाबू कौशिक ने Bharat.one से बात करते हुए कहा कि गोवर्धन पर्वत भगवान श्री कृष्ण ने अपनी उंगली पर उठाया था, तो यहां भगवान के मंदिर में आने वाले श्रद्धालु उन्हें पेड़े और दूध का भोग लगाते हैं.
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भगवान श्री कृष्ण का है प्रिय
भगवान श्री कृष्ण को दूध और पेड़ा अति प्रिय है. मान्यता के अनुसार यह मंदिर द्वापर कालीन है और यहां पर आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. हर दिन यहां हजारों श्रद्धालु भगवान गिरिराज जी के दर्शन करते हैं, दूध पेड़े का भोग लगाते हैं. जो भी वक्त सच्चे मन से उनकी विधि विधान से पूजा अर्चना करता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं गिरिराज जी
मंदिर के सेवायत ने ये भी बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने दूध और दही का दान किया था. इसलिए उन्हें इस मंदिर को दानघाटी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था और तभी से लेकर इसे दानघाटी मंदिर के नाम से जाना जाता है. गिरिराज जी सभी की मनोकामना पूर्ण करने वाले हैं. यहां पर आप जब भी आते हैं, तो एक अलग ही अनुभूति भगवान के दर पर होती है.
FIRST PUBLISHED : October 26, 2024, 14:31 IST
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