सुल्तानपुर: कुछ मंदिर अपनी विशेष मान्यताओं के कारण क्षेत्र में प्रसिद्ध होते हैं. उन्हीं में से एक है मां चंडिका देवी मंदिर. जिसे सुल्तानपुर के दो शक्तिपीठों में एक शक्तिपीठ माना जाता है. जहां पर खुदाई के दौरान एक नमक व्यापारी को मूर्ति मिली. इसके बाद इस मंदिर का निर्माण करवाया गया और यह मंदिर अब सुल्तानपुर समेत पूरे अवध क्षेत्र में प्रसिद्ध है. तो आईए जानते हैं क्या है मां चंडिका देवी मंदिर का इतिहास और उसकी मान्यता.
मंदिर का यह है इतिहास
Bharat.one से बातचीत के दौरान मंदिर के पुजारी बृजेश कुमार पांडे ने बताया कि इस स्थान पर पहले टीला और घना जंगल था. साल 1643 में हीरा शाह जायसवाल नाम के नमक व्यापारी ने व्यापार के उद्देश्य से कमरा बनाने के लिए इस स्थल पर खुदाई करवाई. उस दौरान यहां मां चंडिका देवी की मूर्ति मिली. जिसके बाद यह स्थल मां चंडिका देवी मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हुआ. जहां हीरा शाह जायसवाल ने मंदिर का निर्माण करवाया. आपको बता दें कि जिस जमीन पर यह मंदिर निर्मित हुआ है. वह जमीन स्थानीय ठाकुरों के नाम थी, जिसे बाद में उन्होंने मंदिर के नाम दान कर दी.
चढ़ता है विशेष प्रसाद
मां चंडिका देवी मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा विशेष प्रसाद के रूप में लप्सी, बताशा और पूड़ी चढ़ाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस विशेष प्रसाद से मां चंडिका देवी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.आपको बता दें कि मां चंडिका देवी मंदिर स्थल पर दशहरा के दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. जहां पर लगभग 10000 से भी अधिक लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है और माता के दर्शन के पश्चात मेले का आनंद लेते हैं.
मिलती है संतान सुख की प्राप्ति
मंदिर के पुजारी बृजेश कुमार पांडे ने बताया कि मां चंडिका देवी मंदिर में दर्शन करने के पश्चात जिन लोगों की संतान नहीं हो रही है, उनको संतान सुख की प्राप्ति होती है. इसके अलावा भूत प्रेत जैसी बाधाएं भी इस मंदिर में आने के पश्चात समाप्त हो जाती हैं. अगर आपको भी इस मंदिर में मां चंडिका देवी के दर्शन करने हैं, तो आपको सुल्तानपुर से अयोध्या रोड पर गुप्तारगंज बाजार तक आना होगा. यह हाईवे से ठीक किनारे स्थित है.
FIRST PUBLISHED : December 27, 2024, 11:01 IST
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