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Chhatarpur Kalka Mata Temple: छतरपुर जिले के खजुराहो से 30 किमी दूर स्थित प्राचीन कालका माता मंदिर चमत्कारिक माना जाता है. इसे 500 साल पहले एक चरवाहे ने खोजा था. यहां मां की मूर्ति दिन में तीन रूप बदलती है. नवर…और पढ़ें

छतरपुर जिले के बछौन स्थित मां कालका माता मंदिर
हाइलाइट्स
- छतरपुर में 500 साल पुराना माता का चमत्कारिक मंदिर है.
- मंदिर में मां कालका की मूर्ति दिन में 3 रुप बदलती है.
- नवरात्रि में लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं.
छतरपुर. छतरपुर जिले के खजुराहो से लगभग 30 किमी दूर स्थित माता का ऐसा चमत्कारिक मंदिर है जहां मां साक्षात विराजमान हैं. मां के मंदिर की खोज एक चरवाहे ने की थी जिसे बाद में स्वप्न देकर मंदिर का निर्माण किया गया था. इस मंदिर में कुशवाहा समाज के लोग ही पुजारी बनते हैं.
मंदिर के पुजारी राधे बताते हैं कि मां कालका माता मंदिर बहुत प्राचीन है. ये माता का मंदिर लगभग 500 साल पुराना है. यहां सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
ऐसे हुई मंदिर की स्थापना
पुजारी बताते हैं कि माता के मंदिर की खोज कुशवाहा समाज के एक चरवाहे ने की थी. दरअसल, चरवाहा अपने हल के लिए पहाड़ी पर चढ़कर बांस की लकड़ी लेने आया था. जब बांस की लकड़ी काटकर चरवाहा ले गया तो रात में उसे मां ने स्वप्न दिया कि मैं कालका माता हूं और जो तुमने बांस काटा है वहां मेरा स्थान है. अब वहां मेरा स्थान बनवाओ. इसके बाद वहां मां कालका मंदिर का निर्माण कराया गया.
दिन में 3 रुप बदलती है मूर्ति
पुजारी बताते हैं कि मां कालका माता की मूर्ति का चमत्कार ये है कि मूर्ति स्वयं दिन में 3 रुप बदलती है. सुबह बाल्य अवस्था में मूर्ति का तेज रुप देखने को मिलता है. दोपहर में युवा अवस्था में मूर्ति का रंग देखने को मिलता है. शाम को वृद्धावस्था में मूर्ति दिखाई प्रतीत होती है.
कुशवाहा पीढ़ी करती आई है पूजा
पुजारी बताते हैं कि माता ने कुशवाहा व्यक्ति को ही स्वप्न में आकर कहा था कि तुम ही मेरी सेवा करोगे और आने वाली तुम्हारी पीढ़ी भी यही काम करेगी. वहीं सालों से माता के स्थान पर दुकान लगा रहे सरोज सोनी बताते हैं कि यहां नवरात्रि में तो लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. यहां लोगों की अर्जी भी स्वीकार होती है. यहां दिल्ली, बंबई, सूरत, हरियाणा, यूपी और छत्तीसगढ़ से भी लोग मां कालका माई के दर्शन करने आते हैं.