Home Dharma हनुमान जी महाराज की सुंदरकांड चौपाई का अर्थ और महत्व जानें.

हनुमान जी महाराज की सुंदरकांड चौपाई का अर्थ और महत्व जानें.

0


Last Updated:

Ayodhya News: हनुमान जी महाराज की आराधना करने मात्र से ही सभी कार्य पूरे होते हैं. इस कलयुग में हनुमान जी महाराज जागृत रूप में विराजमान है. ऐसा आशीर्वाद उन्हें माता जानकी ने दिया है.

अयोध्या: सनातन धर्म में सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित होता है. ठीक उसी प्रकार मंगलवार और शनिवार का दिन हनुमान जी महाराज को समर्पित है. इस दिन सच्चे मन से हनुमान जी महाराज की आराधना करने से जीवन की सभी मनोकामना पूरी भी होती है. अगर आप शनिवार और मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ कर रहे हैं और उसकी चौपाई का जाप कर रहे हैं, तो ऐसा करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं. हनुमान जी महाराज की विशेष कृपा प्राप्त होती है. ऐसी स्थिति में चलिए इस रिपोर्ट में सुंदरकांड की कुछ चौपाई के बारे में विस्तार से जानते हैं.

दरअसल, हनुमान जी महाराज की आराधना करने मात्र से ही सभी कार्य पूरे होते हैं. इस कलयुग में हनुमान जी महाराज जागृत रूप में विराजमान है. ऐसा आशीर्वाद उन्हें माता जानकी ने दिया है. ऐसी स्थिति में अगर आप सुंदरकांड के चौपाई का अनुसरण कर रहे हैं, तो आपको उसका अर्थ भी पता होना चाहिए तभी उसका पुण्य आपको प्राप्त होगा.

रामचरितमानस के सुंदरकांड में चौपाई है ” तामस तनु कछु साधन नाहीं। प्रीति न पद सरोज मन माहीं।।
अब मोहि भा भरोस हनुमंता। बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता।।”

चौपाई का भावार्थ:

तामस तनु कछु साधन नाही: इसका अर्थ है कि मेरा यह शरीर तो राक्षसी गुणों वाला है, जिससे कोई भी साधन सिद्ध नहीं हो सकता.

प्रीत न पद सरोज मन माहीं: इसका मतलब है कि मेरे मन में श्री राम के चरण कमलों के प्रति प्रेम भी नहीं है.
अब मोहि भा भरोस हनुमंता: विभीषण कहते हैं कि अब उन्हें हनुमानजी पर पूरा विश्वास हो गया है.

बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता: इस कथन का अर्थ है कि श्री राम की कृपा के बिना कोई संत नहीं मिलता.
यह चौपाई श्री राम के प्रति विभीषण के गहरे प्रेम और उनके समर्पण को दर्शाती है, जो उन्हें हनुमानजी से मिला और रामजी की कृपा के महत्व को उजागर करती है.

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

सुंदरकांड की ये चौपाई है बेहद चमत्कारी, कर लिया इसका पाठ तो मनोरथ होंगे सिद्ध

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version