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Ujjain News: मंदिर में स्थापित मां गजलक्ष्मी की मूर्ति 2000 साल पुरानी है. यह स्फटिक से बनी हुई है. एक ही पाषाण से निर्मित यह प्रतिमा करीब पांच फीट ऊंची है. ऐरावत हाथी पर सवार मां गजलक्ष्मी पद्मासन मुद्रा में विराजमान हैं.
पंडित शर्मा के अनुसार, मंदिर में स्थापित मां गजलक्ष्मी की प्रतिमा 2000 साल पुरानी है और यह स्फटिक से बनी हुई है. यह प्रतिमा लगभग पांच फीट ऊंची है और एक ही पाषाण से निर्मित है. इसमें मां गजलक्ष्मी ऐरावत हाथी पर सवार होकर पद्मासन मुद्रा में विराजमान हैं. इसे सम्राट विक्रमादित्य के काल का बताया जाता है. इसके अलावा यहां भगवान विष्णु के दशावतार की अद्भुत काले रंग के पाषाण पर बनी प्रतिमा भी विद्यमान है.
महाभारत काल में अर्जुन ने मां कुंती के लिए स्वर्ग से ऐरावत हाथी बुलाया था. सुख-समृद्धि और स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए महिलाएं यह व्रत करती हैं. व्रत पूजन करते समय हाथी पर सवार मां लक्ष्मी की प्रतिमा का पूजन करने का विधान है. मिट्टी की गज हाथी की प्रतिमा को लोग घरों में रखकर पूजन करते हैं. महिलाएं 108 दूर्वा से मां लक्ष्मी को जल अर्पण करती हैं. इस पूजन से घर में धन लक्ष्मी और वैभव का वास होता है. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, अश्विन मास महालक्ष्मी का माह माना गया है.
विशाल अभिषेक का आयोजन
इस विशेष पर्व पर माता का 2100 लीटर दूध से अभिषेक किया गया. श्रद्धालु रानी यादव के अनुसार, यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है और यहां दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आज हाथी अष्टमी के पावन अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ इस मंदिर में उमड़ पड़ी है.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.