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ह‍िंदूओं को क‍ितने बच्‍चे पैदा करने चाहिए? क्‍या कहता है सनातन धर्म, शंकराचार्य ने द‍िया जवाब


Shankaracharya on Ideal Family Size: ह‍िंदू धर्म में मानव जीवन के चार मूल बताए गए हैं. जो हैं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष. इन चार मूलों में तीसरा मूल यानी काम का सही उद्देश्‍य संतती को आगे बढ़ाना और संतान उत्पत्ति ही है. यही वह मूल है जो मानव जाति के व‍िस्‍तार पर जोर देता है. लेकिन फिर सवाल आता है कि एक सनातनी ह‍िंदू को आखिर क‍ितने बच्‍चे पैदा करने चाहिए. यूं तो संतान उत्पत्ति और वंश को आगे बढ़ाना पूरी तरह एक न‍िजी विचार है. लेकिन अक्‍सर लोग धर्म के आधार पर इस सवाल का जवाब खोजने की कोशिश करते हैं. वहीं दूसरी तरफ कई बार धर्मगुरू अलग-अलग मंचों से ज्‍यादा बच्‍चे पैदा करने के लि‍ए प्रेर‍ित करते हैं. जैसे सुप्रसिद्ध कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर ने जबलपुर में एक कथा के दौरान कहा कि ‘ह‍िंदुओं को 5-5 बच्‍चे पैदा करने चाहिए.’ ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ‘सनातन ह‍िंदू दंपत्त‍ि को क‍ितने बच्‍चे पैदा करने चाहिए?’ इस सवाल का जवाब ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने धर्म और शास्‍त्रों के अनुसार द‍िया है.

हमारे यहां ‘बहु पुत्रवति भव’ का आर्शीवाद है
ह‍िंदू धर्म से संबंध‍ित कई ग्रंथों में वंश उत्‍पत्ति और वंश वि‍स्‍तार की बात कही गई है. महाभारत हो या फिर रामायण, ऐसे कई प्रसंग म‍िज जाएंगे जब राजाओं ने संतान प्राप्‍त‍ि के ल‍िए ऋषि-मुन‍ियों तक से मदद और आशीर्वाद ल‍िया है. शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से जब पूछा गया कि ह‍िंदुओं को क‍ितने बच्‍चे पैदा करने चाहिए, इसपर उन्‍होंने कहा, ‘हमारे यहां ‘बहु पुत्रवति भव’, ये आशीर्वाद हमेशा से द‍िया जाता है. ‘बहु’ का अर्थ बहुवचन से है. आपकी ह‍िंदी में एक वचन और बहुवचन होते हैं. यानी 2 भी हो तो वो बहुवचन हो जाता है. लेकिन संस्‍कृत में एक वचन, द्व‍िवचन और बहुचन होते हैं. यानी तीन होने पर ही उसे बहुचन कहा जाता है. इसका अर्थ है कि ह‍िंदुओं को कम से कम तीन बच्‍चे तो पैदा करने ही चाहिए. बहु पुत्रवति में ‘बहु’ शब्‍द इसी बात को दर्शाता है.’

भ्रूण हत्‍या के सवाल पर भड़के शंकराचार्य
इसी सवाल के जवाब में शंकराचार्य ने भ्रूण हत्‍या पर भी अपनी राय राखी है. उन्‍होंने इसे एक पाप बताया है. आगे बताते हैं, ‘हमारे यहां पहले पर‍िवार न‍ियोजन (प्‍लान‍िंग) नहीं क‍िया जाता था. ये माना जाता था कि सहज में जब गर्भ धारण हो जाए तो संतान को जन्‍म लेने का अध‍िकार देना चाहिए. अब ऐसी परिस्‍थ‍िति हो रही है कि गर्भधारण तो हो रहा है, लेकिन उसकी भ्रूण हत्‍या की जा रही है. शास्‍त्रों में भ्रूण हत्‍या को मनुष्‍य की हत्‍या के समान ही माना गया है. सबसे पहले तो सनातनी दंपत्ति को भ्रूण हत्‍या नहीं करनी चाहिए.’ वह आगे कहते हैं, ‘अगर धार्मिक दृष्‍ट‍िकोण से देखें तो ज‍ितने भी पुत्र या पुत्र‍ियां हों, वह सब स्‍वागत के योग्‍य होते हैं.’

FIRST PUBLISHED : October 17, 2024, 13:45 IST

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