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हिमालय की गोद में आध्यात्म का महोत्सव! 108 शंखों से गूंजेगा कार्तिक स्वामी मंदिर


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उत्तराखंड के कार्तिक स्वामी मंदिर में 12 मई को 108 शंखों के साथ विशेष पूजा और हवन होगा. तमिलनाडु से आए शिवाचार्य धार्मिक अनुष्ठान कराएंगे. सरकार इस आयोजन के ज़रिए धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना बना रही …और पढ़ें

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कार्तिक स्वामी मंदिर में होगा भव्य धार्मिक अनुष्ठान

रुद्रप्रयाग-  उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित प्राचीन कार्तिक स्वामी मंदिर इस बार एक ऐतिहासिक आयोजन का साक्षी बनने जा रहा है. आगामी 12 मई 2025 को 108 बालमपुरी शंखों के साथ विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाएगा. यह कार्यक्रम पर्यटन विकास परिषद उत्तराखंड, जिला प्रशासन, और मंदिर समिति के संयुक्त सहयोग से संपन्न होगा.

तमिलनाडु के मठों से आएंगे शिवाचार्य
इस आयोजन की विशेषता यह है कि इसमें तमिलनाडु के प्रमुख मठों – माईलम एथेनम, कूनमपट्टी एथेनम, कौमारा मुत्त एथेनम और श्रृंगेरी मुत्तू से शिवाचार्यगण विशेष रूप से उत्तराखंड पधारेंगे. वे शंख पूजन, विशेष हवन और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का संचालन करेंगे. इसका उद्देश्य भक्तों को गहरे आध्यात्मिक अनुभव देना और धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहित करना है.

हिमालय की गोद में बसा आस्था का केंद्र
यह मंदिर समुद्र तल से 3,050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. रुद्रप्रयाग से लगभग 40 किलोमीटर दूर कनक चौरी गांव से वाहन द्वारा पहुंचा जा सकता है, जिसके बाद तीन किलोमीटर की ट्रेकिंग करनी पड़ती है. यह मंदिर भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है, और खास बात यह है कि यहां उन्हें बालक रूप में पूजा जाता है जो कि उत्तर भारत में दुर्लभ है.

क्रौंच पर्वत से जुड़ी है मंदिर की मान्यता
कार्तिक स्वामी मंदिर का संबंध पौराणिक क्रौंच पर्वत से है, जिसका उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है. यहां से हिमालय की बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाएं भी स्पष्ट नजर आती हैं, जो इसे एक आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम बनाती हैं.

सरकार कर रही है सुविधाओं में सुधार
पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने हाल ही में मंदिर का दौरा कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया. उन्होंने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए कि सड़क, पानी, सफाई और सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो. सरकार का लक्ष्य है कि इस आयोजन से न केवल श्रद्धालुओं को सुविधा मिले बल्कि मंदिर को राष्ट्रीय धार्मिक धरोहर के रूप में स्थापित किया जा सके.

धार्मिक पर्यटन को मिलेगा नया आयाम
इस विशेष आयोजन के ज़रिए सरकार और मंदिर समिति धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में मजबूत कदम उठा रही है. 12 मई को होने वाला यह महापूजन उत्तराखंड की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिला सकता है.

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