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होलिका दहन पर क्यों जलाए जाते हैं गोबर के बल्ले? महिलाओं के नजर उतारने के पीछे छिपा है गहरा रहस्य!


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Holika Dahan Rituals: होली पर गोबर के बल्ले क्यों जलाए जाते हैं? महिलाएं परिवार की नजर उतारकर होलिका पर इसे अर्पित क्यों करती हैं? जानिए इस अनोखी परंपरा का ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व.

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होलिका

होलिका में क्यों चढ़ाई जाती है गोबर से बने बल्ले की माला?

हाइलाइट्स

  • होलिका दहन पर गोबर के बल्ले जलाने की परंपरा है.
  • गोबर का धुआं नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है.
  • गोबर के बल्ले जलाने से घर की समस्याएं खत्म होती हैं.

होलिका दहन केवल बुराई के अंत का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसमें छिपे हैं ऐसे रहस्य, जिन्हें जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. क्या आपने कभी सोचा है कि होली पर गोबर के बल्ले (बड़कुले) क्यों जलाए जाते हैं? महिलाएं परिवार की नजर क्यों उतारती हैं? और आखिर क्यों गाय के गोबर का ही उपयोग किया जाता है? इन सवालों का जवाब ज्योतिष शास्त्र में छिपा है और इसका सीधा असर आपके जीवन पर पड़ सकता है.

होली पर गोबर के बल्ले जलाने की रहस्यमयी परंपरा
विंध्य क्षेत्र समेत पूरे भारत में होली की रात गोबर से बनी बल्लियों की माला होलिका पर चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इसे न सिर्फ धार्मिक मान्यता मिली हुई है, बल्कि इसके ज्योतिषीय लाभ भी गहरे हैं. महिलाओं द्वारा होलिका दहन से पहले इस माला को अर्पित किया जाता है और परिवार के सदस्यों की नजर उतारी जाती है.

नजर दोष और नकारात्मक शक्तियों का होता है नाश
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, गाय का गोबर शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है. जब इसे जलाया जाता है तो निकलने वाला धुआं घर से नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है. यही कारण है कि यज्ञ और हवन में भी गाय के गोबर का उपयोग किया जाता है.

घर की परेशानियां होती हैं खत्म
माना जाता है कि होली पर जलाए गए गोबर के बल्ले घर की हर समस्या का समाधान करते हैं. परंपरा के अनुसार, छोटे-छोटे गोबर के उपले (गुलरियां) बनाकर उन्हें सूखाया जाता है और फिर एक रस्सी में पिरोकर माला बनाई जाती है. होलिका दहन के समय इसे जलाने से परिवार की बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि बढ़ती है.

गाय के गोबर का ही क्यों होता है उपयोग?
हिंदू धर्म में गाय को पूजनीय माना जाता है, क्योंकि इसमें 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास बताया गया है. यही कारण है कि गाय के गोबर से बने उपले जलाने से घर का वातावरण शुद्ध बना रहता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

क्या यह सिर्फ परंपरा है या इसके पीछे विज्ञान भी है?
अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो गाय के गोबर से निकलने वाले तत्व वातावरण को शुद्ध करने का कार्य करते हैं. इससे हवा में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और विषैले तत्व समाप्त हो जाते हैं. यही कारण है कि सदियों से इसे धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता है.

यह परंपरा केवल अंधविश्वास नहीं बल्कि धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक आधार पर टिकी हुई है. अगर आप भी चाहते हैं कि परिवार की खुशियां बनी रहें, बुरी नजर का असर खत्म हो और घर में सुख-समृद्धि बनी रहे, तो इस होली पर इस परंपरा को निभाना न भूलें.

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होलिका दहन पर क्यों जलाए जाते हैं गोबर के बल्ले? छिपा है गहरा रहस्य!

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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