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10वीं सदी का शिवालय, शिव-पार्वती की अद्भुत कलाकृतियां पूरे भारत में ऐसी कहीं नहीं


कच्छ जिले में राजशाही समय के कई मंदिर स्थित हैं. इन प्राचीन मंदिरों में 10वीं सदी का मंदिर भी देखने को मिलता है. यह मंदिर उस समय के राजा लाखा फुलाणी के शासनकाल में निर्मित हुए थे. इनमें से एक शिव मंदिर अंजार में स्थित है. 10वीं सदी का अति प्राचीन अंजार का भरेश्वर महादेव मंदिर अनेक लोगों के लिए आस्था का केंद्र है.

लाखा फुलाणी का योगदान
10वीं सदी के बलशाली शासक लाखा फुलाणी की राजधानी कपिलकोट, जो वर्तमान में केरा के नाम से जानी जाती है, थी. उन्हें स्थापत्य कला का शौक था और वे शिव के परम भक्त थे. इसलिए उन्होंने कच्छ में शिव मंदिर का निर्माण कराया था. अंजार के अलावा, कच्छ के प्राचीन मंदिरों में भरेश्वर महादेव मंदिर का भी समावेश है, जिसका गर्भगृह 10वीं सदी का है. मंदिर के भद्र गवाक्ष में अष्टभुजा और दशभुजा शिव की त्रिभंग प्रतिमाएँ हैं.

मंदिर की सजावट और उपासना
इस मंदिर में पुरानी नक्शीकाम देखने को मिलता है. मंदिर के उत्तर में शिव-पार्वती, दक्षिण में गणेश भगवान, और पश्चिम में ब्रह्मा सावित्री के शिल्प देखे जा सकते हैं. यहाँ छोटे-बड़े कई मंदिर हैं. श्रावण मास में यहाँ भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है. यह अति प्राचीन मंदिर हमारी विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिए इसकी देखभाल करना और इसे नुकसान न पहुँचने देना हमारी जिम्मेदारी है. भरेश्वर महादेव मंदिर में शिल्प और कर्तन की उत्कृष्टता उस समय के खजुराहो के मंदिरों के साथ तुलना करने के लिए प्रेरित करती है.

दर्शकों की नियमितता
उल्लेखनीय है कि सामान्यतः भी इस भरेश्वर मंदिर में बड़ी संख्या में दर्शक नियमित रूप से आते हैं. अति प्राचीन इस मंदिर में सदियों पुरानी नक्शीकाम के कारण सरकार ने इस मंदिर को संरक्षित घोषित किया है और पुरातत्त्व विभाग को इसकी देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गई है

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