जैन मुनि अमित सागर महाराज ने बताया कि यह पर्व साल में तीन बार आता है, लेकिन भाद्रपक्ष की पंचमी से शुरु होने वाला पर्व महापर्व है. यह पर्व आत्मा को पवित्र बनाने के लिए मनाया जाता है. साथ ही आत्म साधना, इंद्रि साधना के बारे में बताते हैं, जिससे आत्मा का उत्थान होता है. उन्होंने बताया कि धर्म वही है जो जीव को हर सांसारिक दुख से निकालकर उत्तम सुख में पहुंचा दे.







