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1064 साल पुराना है सीकर का यह मंदिर, यहां पक्ष के अनुसार काले और गोरे भैरव की होती है पूजा, जुड़ी है खास मान्यताएं


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Sikar Jeen Mata Temple: सीकर जिले के हर्ष पर्वत स्थित जीणमाता मंदिर 1064 साल पुराना है. मंदिर में मां जीण भवानी के साथ दो भैरव गौरे और कालेविराजमान हैं. काले भैरव उज्जैन के भैरव के प्रतिरूप हैं. कृष्ण और शुक्ल पक्ष के अनुसार अलग-अलग दिन भैरव की पूजा होती है. इतिहास में हर्ष द्वारा तपस्या करने की कथा जुड़ी हुई है. मंदिर की नींव राजा सिंधराज ने रखी और निर्माण चौहान राजा विग्रहराज द्वितीय ने कराया. नवरात्र में यहां 10 दिवसीय मेला लगता है.

सीकर. रोचक इतिहास समेटे राजस्थान के सीकर जिले का प्रसिद्ध जीणमाता का एक मंदिर हर्ष पर्वत की गुफा में भी है. यहां मां जीण भवानी दो भैरव के साथ विराजती हैं. इनमें एक गौरे भैरव हैं तो दूसरे उज्जैन के काले भैरव के प्रतिरूप हैं. खास बात यह भी है कि मंदिर की स्थापना के समय इन दोनों भैरव की कृष्ण और शुक्ल पक्ष के हिसाब से पूजा होती थी. 15 दिन के कृष्ण पक्ष में काले भैरव और शुक्ल पक्ष के 15 दिनों में गोरे भैरव को पूजा जाता था. यह मंदिर हर्ष पर्वत पर गुफा में मौजूद है. जहां हर्ष द्वारा तपस्या कर भैरूत्व प्राप्त किए जाने की मान्यता है. यह मंदिर करीब मंदिर 1064 साल पुराना है.

इतिहास व कथाओं के मुताबिक पहले भाभी के सिर से पानी का पात्र उतारने से नाराज बहन जीण तपस्यारत हो गई थी. इस पर हर्ष ने उन्हें मनाने की कोशिश की, नहीं मानने पर हर्ष खुद भी हर्ष पर्वत पर गुफा में तप करने लगे. तपस्या से जीण मां जयंतीत्व तो हर्ष ने भैरवत्व प्राप्त कर लिया. उन्हीं हर्ष की याद में उसी तपस्या वाली गुफा में इस मंदिर की नींव रखी गई.

राजा सिंधराज ने रखी थी नींव

इतिहासकार महावीर पुरोहित के अनुसार, मंदिर की नींव सांभर के राजा सिंधराज ने संवत 1018 में रखी थी. इसके बाद मंदिर का निर्माण चौहान राजा विग्रहराज द्वितीय ने कराया. सांवली निवासी पंडित सुवास्तु को मुख्य पुजारी नियुक्त किया गया. नवरात्र में हर्ष पर्वत स्थित जीण भैरव मंदिर में 10 दिवसीय मेले का आयोजन चल रहा है. यहां रोजाना हजारों श्रद्धालु जीणमाता व भैरव जी के दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं.

उज्जैन काल भैरव के प्रतिरूप है काले भैरव

मंदिर में जीणमाता के साथ काले और गौरे भैरव जी की अलग-अलग मूर्ति की भी खास वजह है. दरअसल, यह मंदिर तपस्यालीन हर्ष की याद में बनाया गया था. जिन्हें इस मंदिर में गौरे भैरव के रूप में प्रतिष्ठित किया गया. वहीं, उज्जैन के काल भैरव को यहां काले भैंरव के रूप में प्राण प्रतिष्ठित किया गया. बहन जीण के कारण तपस्या करने पर यहां हर्ष के साथ जीण माता की मूर्ति भी स्थापित की गई.  यहां रोजाना श्रद्धालु जीणमाता व भैरव जी के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं.

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सीकर का अनोखा मंदिर, यहां पक्ष के अनुसार काले और गोरे भैरव की होती है पूजा

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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