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1315 की वीरता आज भी जिंदा… 14 राजपूतों की शहादत से बना था दिल्ली का ये चमत्कारी मंदिर, यहां गुड़ और चादर चढ़ाते हैं भक्त


नई दिल्ली: इस्लाम धर्म की दरगाह में तो आपने चादर चढ़ाते हुए खूब देखी होगी. मान्यता है कि वहां पर चादर बिना चढ़ाए लोगों की मुरादें पूरी नहीं होती हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि देश की राजधानी दिल्ली में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जिसमें चादर चढ़ाई जाती है. इस मंदिर में योद्धाओं की पूजा होती है. इसलिए इस मंदिर को योद्धा बाबा मंदिर के नाम से लोग जानते हैं.

यहां मंदिर में चादर चढ़ाते हैं श्रद्धालु

यहां पर लोग सिर के ऊपर टोकरी रख कर लाते हैं. इस टोकरी में गुड और पीले रंग की चादर होती है. चादर चढ़ाने के बाद लोग सिर झुकाते हैं और अपनी मन्नत मांगते हैं. कहते हैं यहां पर लोगों की मन्नतें पूरी होती हैं. मन्नत पूरी होने के बाद ही लोग यहां पर चादर चढ़ाने आते हैं और तो और योद्धा बाबा के यहां पर चरण बने हुए हैं. उन चरणों पर लोग पानी चढ़ाते हैं.

यहां पर बच्चे बूढ़े, बुजुर्ग, युवा और नई दंपति सब आकर यहां पर आशीर्वाद लेते हैं. देश-विदेश तक से लोग यहां आते हैं. असल में इस मंदिर का नाम चौदह राणा मंदिर है. जो कि रोहिणी के पूठ कलां इलाके में स्थित है. यहां पर चौदह राणा बाबा की आरती और चालीस तक लिखी हुई है. यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है.

अलाउद्दीन खिलजी और राजपूतों से संबंध

इस मंदिर के पास स्थित पूठ कलां गांव के सबसे पुराने रमेश चंदावत ने बताया कि इस मंदिर का सीधा संबंध मुगल के तानाशाह अलाउद्दीन खिलजी और राजपूतों से है. उन्होंने बताया कि जब देश में अलाउद्दीन खिलजी का राज था. तब उससे लड़ाई लड़ते वक्त भी 14 सोमवंशी राजपूत भाइयों ने अपनी जान गंवा दी थी. 14 भाई एक साथ शहीद हो गए थे. वो इसी गांव के रहने वाले थे. 14 सोमवंशी राजपूतों ने 1315 में अलाउद्दीन खिलजी के साथ लड़ाई लड़कर जान गंवाई थी. उनकी पत्नियां भी उनके बाद सती हो गई थीं.

14 सोमवंशी राजपूत हुए थे शहीद

यह दिल्ली में सोमवंशी राजपूतों की सबसे पुरानी बस्ती का प्रतिनिधित्व करता है. उन्होंने बताया कि जब 14 भाई शहीद हो गए थे. तब उनकी लाशों को यहां लाया गया था. क्योंकि अलाउद्दीन खिलजी उनकी लाशों को भरे बाजार में टांगना चाहता था और उसका तमाशा करना चाहता था, लेकिन गांव के लोगों ने उनकी लाशों को यहां लाकर दफन कर दिया था और अलाउद्दीन खिलजी को यह बात ना पता चले.

इसीलिए इसके पास एक मंदिर का आकार दे दिया गया था. तब से गांव के सभी पूर्वज इन्हें पूजते हैं. क्योंकि इनमें अजीब सी शक्तियां है. लोगों को ये चौदह योद्धा बाबा सपने में आते हैं और लोगों की मुरादें भी पूरी भी करते हैं. मन्नत पूरी होने पर लोग यहां पर चादर चढ़ाते हैं. सबसे पहले यहां पर सिर्फ इनकी पूजा होती थी, लेकिन फिर धीमे-धीमे करके इस मंदिर को नया आकार दिया गया और शिवलिंग समेत राम दरबार और खाटू श्याम बाबा समेत माता रानी और शनि देव समेत हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना की गई और अब यहां से पूरे देश भर से लोग आते हैं और पूजा करते हैं.

श्रद्धालु बोले- यहां हर मनोकामना होती है पूरी

यहां पर कई दशकों से पूजा कर रहे हरीश काका ने बताया कि इस मंदिर में अजीब सी शक्तियां हैं. चौदह राणा बाबा को यहां पर गुड चढ़ाया जाता है और पीले रंग की चादर चढ़ाई जाती है. गुरुवार के दिन यहां विशेष पूजा अर्चना होती है. उन्होंने बताया कि यहां पर जो भी भक्त आते हैं. उनकी सभी मन्नतें पूरी होती हैं, इसीलिए इस मंदिर का विशेष महत्व है. शशि कला ने बताया कि उनका बच्चा बीमार हो गया था. उन्होंने यहां पर मन्नत मांगी थी तो उनका बच्चा ठीक हो गया था. वहीं, मंदिर के पुजारी समेत आसपास के गांव के लोग इस मंदिर में विशेष आस्था रखते हैं.

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