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Anikkattilamma Temple: आपने भगवान शिव और माता पार्वती के तो वैसे कई मंदिर देखे होंगे लेकिन केरल में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान शिव और माता पार्वती का अलग ही स्वरूप देखने को मिलता है. इस स्वरूप को देखने के लिए देश विदेश से लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं. साथ ही यह पवित्र 1600 साल पुराना भी बताया जाता है. आइए जानते हैं इस खास मंदिर के बारे में…
भगवान शिव और माता पार्वती के संयुक्त मंदिर देश के अलग-अलग राज्यों में मिल जाते हैं और हर मंदिर में माता पार्वती और भगवान शिव का सौम्य अवतार देखने को मिलता है. वहीं, दक्षिण भारत के केरल में शिव-पार्वती का ऐसा मंदिर है, जहां दोनों की उग्र और अस्त्र-शस्त्र के साथ संयुक्त रूप से पूजा की जाती है. हम बात कर रहे हैं अनिक्कट्टिलम्मा मंदिर की, जिसे अनिक्कट्टिलम्मक्षेत्रम के नाम से भी जाना जाता है. भगवान शिव और माता पार्वती के इस स्वरूप में दर्शन केवल इसी मंदिर में देखने को मिलते हैं इसलिए इस मंदिर का आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व काफी विशेष है. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और हर परेशानी से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं 1600 साल पुराने इस मंदिर के बारे में…
मालाप्पल्ली शहर के पास अनिक्कट्टिलम्मा मंदिर
केरल राज्य में पथानामथिट्टा जिले के मालाप्पल्ली शहर के पास अनिक्कट्टिलम्मा मंदिर है. मंदिर में दूर-दूर से भक्त मां पार्वती और भगवान शिव के उग्र रूप के दर्शन करने के लिए आते हैं. मंदिर में आदिपराशक्ति मां पार्वती को शक्ति के रूप में पूजा जाता है, जबकि भगवान शिव शिकारी (किरात) के रूप में विराजमान हैं. भगवान शिव के हाथों में धनुष और बाण हैं, जबकि मां पार्वती के हाथों में तलवार है. मां पार्वती को प्रकृति का रूप माना जाता है, जो हमेशा सरल और सौम्य रही हैं.
मंदिर की वास्तुकला देखने में बौद्ध मंदिरों जैसी
यह मंदिर केरल में अपनी तरह का सबसे दुर्लभ मंदिर है. भक्तों का मानना है कि मां पार्वती ने यह रूप अपने भक्तों के लिए धारण किया था. मां पार्वती भक्तों की रक्षा बच्चों की तरह करती हैं और उनकी हर मनोकामना को पूरी करती हैं. मंदिर के प्रांगण में शिव के भद्र और नागराज का मंदिर भी बना है. मंदिर एक झोपड़ीनुमा मंदिर है, जिसमें लाल रंग की टाइल्स का इस्तेमाल किया गया है. मंदिर की वास्तुकला देखने में बौद्ध मंदिरों के जैसी दिखती है. मणिमाला नदी के किनारे स्थित इस मंदिर को 1600 साल पुराना बताया जाता है, जिसका निर्माण एडापल्ली राजवंश के आने के बाद हुआ था.
आठ दिन की पोंगल पूजा का आयोजन
मंदिर में मां पार्वती और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आठ दिन की पोंगल पूजा का आयोजन होता है, जिसमें भक्त मां पार्वती और भगवान शिव को खीर का भोग लगाते हैं. सदियों से ये केरल के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों के तौर पर मनाया जा रहा है. यह त्योहार मलयालम महीने मकरम-कुंभम (फरवरी-मार्च) के महीने में मनाया जाता है. पोंगल को सिर्फ महिलाओं का त्योहार माना जाता है क्योंकि मंदिर के गर्भगृह में खासतौर पर महिलाओं को ही पूजा करते देखा गया है, जो मां पार्वती से अपने परिवार के कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करती हैं.
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मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
