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1993 के भूकंप से तबाह हो गया था पूरा गांव लेकिन इस मंदिर का बाल भी नहीं हुआ बांका


धाराशिव: 1993 में लातूर जिले के किल्लारी में आए भूकंप की विनाशकारी घटना आज भी महाराष्ट्र के लोगों के मन में ताजा है. इस भूकंप ने कई गांवों को तबाह कर दिया, लेकिन धाराशिव जिले के उमरगा तालुका के बलसूर गांव में स्थित श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर इस विनाशकारी आपदा के बावजूद अपनी मूल स्थिति में बना रहा.

श्री नीलकंठेश्वर महादेव को समर्पित है ये प्राचीन मंदिर
यह प्राचीन मंदिर ग्राम देवता श्री नीलकंठेश्वर महादेव को समर्पित है और इसकी संरचना हेमाडपंथी शैली में बनाई गई है, जो पूरी तरह से पत्थर से निर्मित है. इस मंदिर की विशेषता इसकी सुंदर नक्काशी और स्थापत्य कला है, जो हजारों वर्षों से चली आ रही है. मंदिर के सामने एक बड़ा पत्थर का बरवा भी स्थित है, जो हेमाडपंथी शैली का ही है.

श्रावण मास में मंदिरों में देखी जाती है काफी भीड़
श्रावण मास के आखिरी सोमवार को यहां भक्तों की विशेष भीड़ देखी जाती है, लेकिन सालभर इस मंदिर में दर्शन के लिए लोगों की भारी संख्या आती है. यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी अद्भुत स्थापत्य कला और इतिहास इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है. 1993 के भूकंप में जहाँ पूरा गांव हिल गया था, वहीं यह मंदिर आज भी उसी स्थिति में खड़ा है, मानो समय ने इसे छूआ ही न हो.

FIRST PUBLISHED : September 3, 2024, 13:27 IST

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