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2 या 3 सितंबर, इस दिन रखा जाएगा अमावस्या का व्रत; देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानें सही तिथि और उपाय When will the Amavasya fast be observed on 02nd or 03rd September? Know from the astrologer of Deoghar.


देवघर. जिस तरह पूर्णिमा की तिथि को खास माना जाता है. इस तरह अमावस्या भी सनातन धर्म में बेहद खास होता है, विशेषकर सोमवती अमावस्या. माना जाता है कि सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करनी चाहिए एवं शिवलिंग के ऊपर अवश्य अभिषेक करें. इससे जातक की मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं.

इसके साथ ही अमावस्या की तिथि पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए या फिर पितरों का तर्पण करने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है. कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं. वहीं भाद्रपद महीने की अमावस्या तिथि को लेकर थोड़ी आसमंजस बनी हुई है. तो आइए देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि अमावस्या की तिथि और महत्व.

कब है भाद्रपद की अमावस्या
ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल जानकारी देते हैं कि भाद्रपद की अमावस्या तिथि दो और तीन सितंबर दोनों दिन पड़ने जा रही है, लेकिन अमावस्या का व्रत 2 सितंबर दिन सोमवार को रखा जाएगा. क्योंकि अमावस्या सोमवार को है, इसलिए इसे सोमवती अमावस्या भी कहते हैं. इस अमावस्या के दिन सुबह स्नान दान कर अपने पितरों के निमित्त तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितृ प्रसन्न भी होते हैं.

कब से हो रही है अमवास्या तिथि की शुरुआत
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि अमावस्या तिथि की शुरुआत 2 सितंबर सुबह 5 बजकर 42 मिनट शुरू होने जा रहा है और समापन अगले दिन 3 सितंबर यानी मंगलवार सुबह 6 बजकर 20 मिनट में हो रहा है. उदया तिथि के साथ ही दिन भर अमावस्या 2 सितंबर को रहने वाली है. इसलिए 2 सितंबर को ही अमावस्या का व्रत रखा जाएगा.

पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए करें यह कार्य
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि अमावस्या के दिन पितृ धरती के नजदीक रहते हैं. इसलिए अमवास्या के दिन किसी नदी किनारे पितृ के नाम से तर्पण अवश्य करना चाहिए और पितृ के नाम से दान करें. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं. अगले दिन यानी मंगलवार भी सुबह 06 बजकर 20 मिनट तक अमवास्या है तो उससे पहले पीपल वृक्ष के निचे दिया जलाएं और सूत लपेटकर 108 बार प्रदक्षिणा करें. इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलेगी. परिवार में हमेशा खुशहाली रहेगी और वंश वृद्धि भी होगी.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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